महावीर सिंह राजपूत / नई दिल्ली
मोदी की योजनाओ से ग्राम पंचायत सरपंच,सचिव सहसचिव,व ग्रामवासी परेशान नजर आने है। रिश्वतखोरी घटिया निर्माण-कार्यो जैसी शिकायत होती भी नजर आ रही है। स्वच्छ भारत मिशन व प्रधानमंत्री आवास योजनाओ मे ग्राम पंचायत सरपंच,सचिव,सहसचिवो के हालात कुछ ऐसे नजर आने लगे है जैसे सरकार ने उन्हे चोर का दर्जा देकर ही नौकरी पर रखा हो । जबकी एक सचिव या सह सचिव शासकिय मास्टर से ज्यादा मेहनत करता नजर आता है उसके उपरांत भी ग्रामवासीयो की गालीयॉ और शासन के दबाब की नौकरी अपने परिवार को पालने के लिये करता नजर आता है क्योकी बच्चे पालने है चाहे ग्रामवासीयो की या अधिकारीयो की कितनी भी सुननी पडे
जबकी एक शासकिय मास्टर चार से पॉच घंटे शासकिय स्कुलो मे टाईम पास करके अपने घर चला जाता है और शासन उसे 20 से 60 हजार रुपये महीना वेतन टाईम पास करने के देती नजर आती है और एक शासकिय मास्टर आराम की जिन्दगी यानि की शकुन की इज्जत की जिन्दगी जीते नजर आते है
और जो सरपंच, सचिव, सहसचिव जमीनी स्तर पर ग्रामवासीयो बीच रहकर गालियॉ सुनते हुये काम करते है उनकोे शासन छोटी सी वेतन देकर चोर घोषित करती नजर आ रही है
जबकी सही माईने मे देखा जाये तो ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव, सहसचिव की नही शासन की स्वच्छ भारत मिशन/प्रधानमंत्री आवास योजनाओ मे कमी देखी जा सकती है
आज जब मे एक ग्राम पंचायत मे गया तो मैने देखा की स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत बनाये गये शोचालय के हालत कुछ ऐसे है ना तो शोचालय मे गड्डा है ना ही गेट उसके उपरांत भी हितग्राहियो को प्रोत्साहन राशि निकाल दी गई और ग्रामवासी आज भी खुले मे शोच करने को हे मजबुर शोचालय बन जाने के बाद भी मॉ,वेटी,बहु जब खेत मे शोचालय करने जा रही है तो घर मे शोचालय का क्या महत्व रह गया
सरकार सिर्फ फिरी की योजनाओ से आम जनता के पैसो का दुर्पयोग करती नजर आ रही है
ये गलती किसकी नजर आती है ग्राम पंचायत सरपंच की/सचिव की/ सहसचिव की/ या जिला अधिकारीयो की/ या शासन की योजनाओ की
सरकार पैसा हितग्राही को दे रही है और काम का वोझ सरपंच सचिव को शासन की ये कैसी योजनाये है
जब सरकार हितग्राही को पैसा दे रही है तो हिसाब भी हितग्राही से ही लेना चाहिये
सरकार ने दिये हितग्राहियो को पैसा अब हितग्राहि उन पैसे से मोटर साईकिल या अन्य वस्तु खरीदी करके या गॉब छोडकर या जुऐ शराब मे पैसे बर्वाद कर लेता है तो इसमे सरपंच/सचिव की क्या गलती है
इन कारणो से ग्राम पंचायतो मे आवासो व शोचालय का काम रुका हुआ देखा जा सकता है और अधिकारी सचिवो को दोषी करार देते भी नजर आ जायेंगे
कुछ ग्राम पंचायतो मे ऐसा भी देखने को मिला
सरकार के अधिकारीयो ने हितग्राहियो से कहॉ आप शोचालय बनवा लो शोचालय बन जाने के बाद आप को प्रोत्साहान राशि दे दि जायेगी
अब गरीब हितग्राहियो के पास शोचालय बनवाने के लिये पैसे नही है तो हितग्राहियो ने ठेकेदारो या सरपंच/सचिव से बात करके कि आप हमारा शोचालय बनबा दो और प्रोत्साहान राशि भी आप ही ले लेना जब गरीबो कि समास्या को देखते हुये ठेकेदारो ने या सरपंच सचिव ने अपनी जेब से गरीबो के शोचालय भी बनबा दिये और प्रोत्साहान राशि भी डाल दी । अब वो ही गरीब हितग्राहि जो कल तक हाथ जोडकर शोचालय बनवा रहा था अब वो ही गरीब हितग्राहि सरपंच सचिव से प्रोत्साहान राशि मे भी कमीशन मॉगते नजर आ जायेंगे ऐसा ही प्रधानमंत्री आवास मे भी देखने को मिल जायेगा।
हर ग्राम पंचायत मे देखने को मिल सकता है कि ग्राम पंचायतो मे विकास-कार्यो की राशि मे सभी अधिकारी अपना-अपना कमीशन तो ले लेते है और जब सरपंच सचिव पर मुसीबत आ जाये तो अपना हाथ बचाते नजर आते है चोरी मे सब शामिल पकडे जाने पर छोटे कर्मचारी की गलती जब शासन हितग्राहियो के खाते मे राशि डाल रहा है तो उस राशि का हिसाब भी हितग्राहियो से लिया जाये और सरपंच सचिव सहसचिव पर जबरन विकास करवाने को बाध्य ना किया जाये ना ही सरपंच सचिव पर अधिकारीयो द्घारा दबाब डाला जाये जिससे की सरपंच सचिव खुलकर अपनी पंचायतो मे और भी विकास-कार्यो मे ध्यान दे सके व खुलकर विकास-कार्य कर सके।
सरकार हितग्राहियो को पैसा दे रही है तो कुछ नये नियम व शर्ते भी बनाये हितग्राहियो को पैसा मिल जाने के बाद समय-सीमा तय की जाये उस समय-सीमा मे हितग्राहि अपना खुद का विकास नही कर सका तो उस पर सरकार कठोर कारवाई करे जिससे की हितग्राहियो मे शासन का भय बना रहे और जल्द से जल्द हितग्राहि खुद का विकास कर सके
सरपंच सचिव सहसचिव की कहावत कुछ ऐसी भी नजर आने लगी है
अन्धो को सही रास्ता भी बताओ
और घर भी छोडकर आओ
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