मेडिक्लेम के नाम पर डाक्टरों ने मचाई लूट
रिटायर्ट बुजुर्ग आईएएस मरीज गिन रहा अंतिम सांसें,
ग्लोबल अस्पताल ने इलाज के नाम पर ऐंठ लिया पैसा
मि. प. संवाददाता / मुंबई
जहां डॉक्टरों को दूसरा भगवान का अवतार माना जाता है, वहीं पैसे कमाने को लेकर मरीजों के साथ विश्वासघाती डॉक्टरों की घटनाएं लोगों के जीवन को झकझोर कर दे रही है। ऐसे ही एक मेडिक्लेम नाम के नाम पर घोटाला कर भ्रष्टाचारी डॉक्टर द्वारा पीलिया के मरीज का जबरन गले और पेट का ऑपरेशन कर डालने का खतरनाक खुलासा सामने आया है। दिल्ली सरकार के ७२ वर्षीय रिटायर्ड आईएएस अफसर किल्लीमंगलम पद्मनाभन के साथ हुए इस हादसे से उनकी जिंदगी ने ही अब पुरा रूख मोड लिया है। इस ऑपरेशन से अच्छे खासे चलते फिरते मरीज किल्लीमंगलम की अब ऐसी हालत हो चुकी है कि अब न तो वह चल पा रहे है और न ही कुछ खा पी रहे है। मामले की शिकायत किए जाने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई मदद भी नहीं मिल पा रही है।
इन दिनों मुंबई के कई अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरायी हुई है। डॉक्टर, कर्मचारी, और दवा विव्रेâताओं द्वारा बीमारों को मेडिक्लेम के नाम पर तो लूटा ही जा रहा है। लेकिन इन तकलीफों के बीच मेडिक्लेम के जरिए प्राईवेट अस्पतालों जबरदस्ती ऑपरेशन कर कमाने की होड आम मरीजों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। ताजा मामला एक ऐसे बुजुर्ग दम्पती मरीज का है, जो केवल अपने मामूली पीलिया की बीमारी का इलाज करवाने के लिए मुंबई के ग्लोबल अस्पताल में आया था। वहां दिल्ली सरकार के रिटायर्ड आईएएस अफसर किल्लीमंगलम परमेश्वरम पद्मनाभन नामक ७२ वर्षीय वृद्ध व्यक्ति को इलाज के नाम पर भर्ती करा लिया गया और मेडिक्लेम के जरिए पैसे कमाने के चलते अच्छे खासे चलते फिरते इंसान का ऑपरेशन करवा डाला। आज मरीज किल्लीमंगलम की ऐसी स्थिती हो चुकी है कि न तो उनके गले से खाना खाया जाता है और न ही उनसे चला फिरा जाता है। मरीज की ६८ वर्षीय पत्नी रागी पद्मनाभन ने डॉक्टरों की इस हरकत के खिलाफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से तथा स्थानीय भोइवाडा पुलिस थाने में लिखित रूप से शिकायत की है।
इस मामले को लेकर नारी सम्मान संगठन की अध्यक्षा सुंदरी ठाकुर तथा मिशन पत्रकारिता के अध्यक्ष शैलेष जायसवाल अस्पताल प्रशासन से मिलने गए तब वहां के डॉक्टरों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया तथा कर्मचरियों ने भी मौखिक रूप से मरीज के साथ गलत बर्ताव होने की बात कबूल की। मिशन पत्रकारिता को जानकारी देते हुए रागी पद्मनाभन ने बताया कि उनके पति किल्लीमंगलम दिल्ली सरकार में एग्री कल्चरल डिपार्टमेंट के आयुक्त रह चुके है। अच्छे खासे स्वस्थ्य अवस्था के किल्लीमंगलम को उनकी पत्नी १३ फरवरी २०१८ को ग्लोबल अस्पताल के ओपीडी में लेकर आई। वहां अस्पताल को डॉक्टरों को जैसे ही पता चला की मरीज का सरकारी विभाग द्वारा ‘विडल हेल्थ केयर प्रा.लि.’ कंपनी में मेडिक्लेम की सुवधा है, वैसे ही गंभीर बिमारी बताकर उन्हें भर्ती करा लिया गया और १५ फरवरी २०१८ को पीलिया के मरीज किल्लीमंगलम का गले और पेट का ऑपरेशन ही कर डाला और मेडिक्लेम के जरिये पांच लाख रूपए ऐंठ लिए। मगर ऑपरेशन के बाद स्वस्थ होना तो दूर मरीज अपपने पैरों पर खडे होने लायक और कुछ खाने पीने लायक भी नहीं रहा। आखिर डॉक्टरों ने दोबारा उन्हें भर्ती कर गले से सांस लेने के लिए नली लगा दी और खाने के लिए पेट में नली घुसा दी। अब उनके इलाज के लिए मरीज की पत्नी से और पैसा मांगा जा रहा है।
नाम बताने की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मचारी ने मिशन पत्रकारिता का बताया कि उक्त अस्पताल में अक्सर अच्छे मरीजों ज्यादा बिमार बताकर उन्हें भर्ती करा लिया जाता है और मेडिक्लेम के माध्यम से पैसे कमाए जाते हैं। चश्मदीद कर्मचारी ने बताया कि किल्लीमंगलम जब पहले दिन इलाज के लिए अस्पताल में आए थे तब वे अच्छी अवस्था में चलते फिरते हुए मजाक करते हुए कर्मचारियों से बोल रहे थे। मगर उसी दिन उन्हें जब भर्ती किया गया तब से ही वे अपनी सुध बुध खो बैठे हैं। इस मामले में जब मिशन पत्रकारिता ने भोईवाडा पुलिस थाने से संपर्क किया तो वहां मामले को दर्ज करने की बात कही गई। पुलिस ने बताया कि मामले तफ्तीश जारी है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
अब तक कोई कार्रवाई नहीं:
गौरतलब है कि इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिकायत किए जाने के बाद भी उनकी ओर से कोई कार्रवाई का आश्वासन नहीं दिया गया। भोईवाडा पुलिस ने तो औपचारिकता के नाम पर महज मामला दर्ज किया है। मगर शिकायत करने के १० दिन बाद भी वहां से संतोषजनक कार्रवाई नहीं हो पाई है। खबर लिखे जाने तक कोई भी पुलिस अधिकारी जानकारी लेने और तहकीकात करने के लिए अस्पताल नहीं पहुंचा है।
अस्पताल के खिलाफ सुंदरी ठाकुर करेगी धरणा प्रदर्शन:
जैसे ही यह मामला नारी सम्मान संगठन की अध्यक्षा सुंदरी ठाकुर के हाथ आया वैसे ही सुंदरी ठाकुर ने अस्पताल प्रशासन से मिलकर समस्या को हल करने की कोशिश की। मगर अस्पताल के अधिक्षक मीडिया के सामने आने से कतराते नजर आए। उलटे उनके लौटने के बाद मरीज और मरीज की पत्नी को डांट फटकार कर पूछा कि यहां मीडिया और एनजीओ को क्यों बुलाने की जुर्रत की। ऐसे में सुंदरी ठाकुर ने चेतावनी जारी की है कि मरीज किल्लीमंगलम का उचित इलाज कर उन्हें जल्द ही स्वस्थ नहीं किया गया तो आखिरकार एक महिने के भीतर अस्पताल के सामने कार्यकर्ताओं से साथ खडे होकर तथा अस्पताल को डॉक्टरों के मुंह पर कालिख पोतकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बच्चों ने भी साथ छोडा, अकेले पडे किल्लीमंगलम:
बता दे कि अपने स्वभाव के मृदुभाषी और अच्छा बोलनेवाले दिल्ली सरकार के सुप्रसिद्ध आयुक्त किल्लीमंगलम अब बोल भी नहीं पा रहे हैं। अपनी तकलीफों से वे काफी परेशान हैं। फिलहाल अकेली उनकी पत्नी ही दिन रात अस्पताल में रहकर उनका खयाल रख रही है। मगर सबसे अचंभे की बात तो यह है कि जहां किल्लीमंगलम ने अपने दोनों बच्चों को पाल-पोसकर और पढालिखा कर विदेश में नौकरी करने के लिए भेजा, आज उन्होंने ही इस एन मौके पर उनका साथ छोड दिया है। किल्लीमंगलम का बेटा राज यूएस में आईटी में प्रोफेशनलिस्ट है, जबकि बेटी प्रियंका भी एक प्रोफेसर है और दोनों अच्छे खासे कमा भी रहे हैं। ऐसे में वे दोनों अपने माता-पिता को अकेला छोड अपने परिवार के साथ विदेश में कमाने में जुटे हुए है। जबकि बच्चों की याद में पिता केवल अपनी बूढी पत्नी के सहारे अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है।
मिशन पत्रकारिता ने भी की शिकायत:
ऐसे हालात में मिशन पत्रकारिता के अध्यक्ष शैलेष जायसवाल ने स्वयं लिखित पत्र देकर भोईवाडा पुलिस के अलावा मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिख कर इस बारे में पीडित की मदद करने के लिए निवेदन दिया है। जायसवाल ने मांग की है कि इस मामले के अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मेडिकल रिपोर्ट निकाली जाए तथा इस मामले की सीआईडी जांच हो। ताकि समाज के कुछ चुनिंदा डॉक्टरों की इस धोखाधडी और कमाने की होड पर नकेल कसी जा सके। साथ ही दिल्ली सरकार से को भी पत्र लिखकर उनसे पीडित को आर्थिक मदद करने की अपील की गई है। साथ ही संस्था ने अस्पताल प्रशासन से भी लिखित रूप से अपील करते हुए कहा कि मरीज किल्लीमंगलम का इलाज उचित ढंग से कर अपनी गलती को सुधारा जाए।
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