खूब लड़ी मर्दानी , स्वाभिमानी ' मणिकर्णिका ' लाजवाब
बायोपिक की अगली कड़ी में इस गणतंत्र दिवस पर बॉलीवुड का इतिहास भारत देश की सबसे प्रसिद्ध वीरांगना का जीवन चित्रण कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है ।
लोगों के मन में यह बात जरूर आती रही होगी कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जिसने ब्रिटिश काल में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दी थी , उसकी जीवन गाथा पर कोई फिल्मकार बायोपिक क्यों नहीं बना रहा । आखिरकार ' मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी ' के रूप में यह फ़िल्म सिनेमाघरों में पहुंची ।
ज़ी स्टूडियो की प्रस्तुति निर्माता कमल जैन और कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ' मणिकर्णिका ' में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बचपन से लेकर मृत्यु को महज ढाई घंटे में दिखा पाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण था लेकिन कहानी पटकथा लेखक बाहुबली फेम विजयेंद्र प्रसाद काम प्रभावी और सराहनीय है । निर्देशक राधा कृष्ण जगरलामुडी के अलावा पहली बार निर्देशकीय पारी की शुरुआत कर रही अभनेत्री कंगना रनौत एक अनुभवी फिल्ममेकर का परिचय देने में सफल हुई है ।
महान कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की लिखी कविता ' खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी ' पढ़कर हिंदुस्तान का हर आदमी लक्ष्मीबाई की वीरता से परिचित है और इस फ़िल्म में भी साहसी , पराक्रमी , न्यायप्रिय रानी को देखकर अभिभूत हो जाएंगे । कंगना ने वीरांगना की तरह काम किया है । उनका हाव भाव , चाल ढाल से प्रतीत होता है कि इस किरदार की ललक उन्हें काफी समय से था । लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव नवलकर के रूप में बंगाली स्टार जिसु सेन गुप्ता , ग़ुलाम गौस खान ( डैनी डेन्जोंगपा ) , पेशवा बाजीराव ( सुरेश ओबेरॉय ) , झलकारीबाई ( अंकिता लोखंडे ) , सदाशिव राव ( मोहम्मद जीशान ) और जनरल ह्यूज रोज़ ( रिचर्ड कीप ) ने बेमिसाल अदाकारी की है । फ़िल्म का निर्माण भव्य स्तर पर हुआ है । संगीत को और भी बेहतर किया जा सकता था ।
फ़िल्म में युद्ध के दौरान रानी द्वारा जनरल को घसीटकर ले जाते दिखाना और कलाबाज़ी अति नाटकीय सा प्रतीत होता है । बालक गंगाधर राव की मृत्यु वाला दृश्य बेहद भावुक बन पड़ा है ।
इस फ़िल्म को देखकर दर्शक का हृदय एक बार फिर देशभक्ति की भावना से भर जाएगी और उन्हें आज़ादी के लिए लड़े अमर शहीदों की याद ताज़ा होगी ।
आज भी देश में बैठे गद्दार अपनी मातृभूमि के सौदा करने पर तुले हुए हैं और उनकी मानसिकता से गुलामी निकल नहीं पा रही ।
संतोष साहू
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