मुंबई : महाराष्ट्र विलेज सोशल ट्रांसफॉर्मेशन फाउंडेशन (एमवीएसटीएफ) और यूनाइटेड नेशंस इंटरनैशनल चिल्ड्रेन्स इमरजेंसी फण्ड (युएनआइसीईएफ) यानी यूनिसेफ इंडिया द्वारा स्वतन्त्रता दिवस समारोह के तहत और बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र का 30वाँ वर्ष मनाने के लिए एक विशेष अभियान लॉन्च किया गया है. ‘सलेब्रेटिंग चाइल्ड राइट्स’ नामक यह अभियान बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर केन्द्रित है. तीस साल पहले, विश्व के नेताओं ने बचपन पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के तहत यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द राइट्स ऑफ़ द चाइल्ड को अंगीकार करते हुए पूरे विश्व के बच्चों के प्रति एक ऐतिहासिक प्रतिज्ञा की थी. एमवीएसटीएफ और यूनिसेफ द्वारा महाराष्ट्र के 25 जिलों में 850 गाँवों में तीन चरणों में तीन महीने का अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान का मुख्य लक्ष्य लोगों से संपर्क करना और उन्हें बाल अधिकारों एवं बाल विवाह की समस्या पर शिक्षित करना है. उद्देश्य है ग्रामीणों के बीच जागरूकता उत्पन्न करना. इस अभियान में एमवीएसटीएफ कार्यान्वयन सहयोगी और यूनिसेफ ज्ञान सहयोगी है.
पहली चरन में यह अभियान 15-30 अगस्त तक चलाया जा रहा है. प्रथम चरण में आयोजित ग्राम सभाओं में बाल अधिकारों की रक्षा और इसके प्रभावकारी क्रियान्वयन के लिए प्रस्ताव पारित किये जायेंगे. मुख्य मंत्री ग्रामीण विकास मित्र (सीएमआरडीएफ) अपने-अपने गाँवों में बाल अधिनियम संरक्षण समिति (चाइल्ड ऐक्ट प्रोटेक्शन कमिटीज) का गठन और सक्रियण सुनिश्चित करेंगे. वे लोग इस बात पर भी जागरूकता उत्पन्न करेंगे की 14वें वित्त आयोग के अनुसार स्त्रियों और बच्चों के लिए 10% फण्ड आबंटित है. सीएमआरडीएफ यह भी देखेंगे कि इस फण्ड का उचित इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा, प्रथम चरण में 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों को उनके समग्र विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी.
अभियान के बारे में एमवीएसटीएफ के सीईओ, श्री रामनाथ सुब्रमण्यम ने कहा कि यूनिसेफ को हमारे सहयोग की जडें काफी गहरी हैं. हम विस्तार करने, ग्रामीणों तक पहुँचने और जमीनी स्तर पर आक्रामक ढंग से समस्या से निबटने के मिशन में सहयोग कर रहे हैं.
राजेश्वरी चंद्रशेखर, चीफ, महाराष्ट्र कार्यालय ने कहा कि इस साल यूनिसेफ का फोकस बच्चों पर हिंसा को रोकने पर है. यूएनसीआरसी के आर्टिकल 19 में कहा गया है. सरकारों को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों की उचित देखभाल हो रही है और वे हिंसा, दुर्व्यवहार तथा उपेक्षा से सुरक्षित हैं.
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