संगीतकार खय्याम की स्मृति में इंडियन सिंगर्स राइट्स असोसिएशन द्वारा 'वो सुबह कभी तो आएगी' संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन मुक्ति ऑडिटोरियम चार बंगला में सम्पन्न हुआ। इस दौरान जाने माने गायक तलत अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, सुरेश वाडकर, सोनू निगम, सलीम मर्चेंट, नितिन मुकेश, सुदेश भोसले, संजीवनी भेलांडे, प्रतिभा बघेल ने खय्याम के संगीत से सजी गीतों को गाकर दिवंगत संगीतकार को श्रद्धांजलि अर्पित किया। इनके अलावा इस कार्यक्रम में जावेद अख्तर, प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल), आनंद श्रीवास्तव (आनंद-मिलिंद), आनंदजी (कल्याणजी-आनंदजी) और कई मान्यवरों की उपस्थिति देखी गयी। यह कार्यक्रम आई एस आर ए (ISRA) के संजय टंडन द्वारा निर्देशित किया गया था।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार मोहम्मद ज़हूर "खय्याम" हाशमी, जिन्हें खय्याम के नाम से संगीत की दुनिया में जाना जाता है, जिनका 19 अगस्त 2019 को निधन हो गया। 93 वर्षीय संगीत उस्ताद ने अपने पीछे अपनी एक ऐसी छाप छोड़ दिया है जो आने वाले वर्षों में कभी पूरा नहीं होगा। उनका संगीत समृद्ध शास्त्रीय आकर्षण की भावना से लबरेज़ है, आजकल के बॉलीवुड की मुख्यधारा में माधुर्यहीन है। वह हिंदी फिल्म संगीत के एक युग के अंतिम गढ़ों में से एक थे।
पद्म भूषण खय्याम ने भारतीय सिनेमा को अपनी कुछ सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ दी हैं। अब तक के सबसे महान बॉलीवुड संगीत निर्देशकों में से एक खय्याम साहब ने अपनी अनूठी शैली के साथ लाखों लोगों के दिलों को जीता है।
बेहतरीन संगीत रचना के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक- पंजाब सरकार का फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, मध्य प्रदेश स्टेट अवार्ड, अशोक अवार्ड- पंजाब सरकार का, बीएफजेए का सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार, यूपीएफजेए का क्वार्टर सेंचुरी अवार्ड का सर्वश्रेष्ठ संगीत, केवी सहगल का पुरस्कार जावित्री विकास समिति, संगीत नाटक पुरस्कार अकडेमी, महाराष्ट्र सरकार का पुरस्कार, दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, सिंटा (CINTAA) अवार्ड, इम्पा (IMPPA) अवार्ड, उर्दू मरकज़ मुम्बई अवार्ड, श्री यश लक्ष्मी आर्ट पुणे अवार्ड, अवामी हरिदास अवार्ड, भगवती सरस्वती पुरस्कार, टॉकी 75 स्क्रॉल ऑफ़ ऑनर, मामी अवार्ड, नौशाद संगीत केंद्र सम्मान, सिनेगो एसोसिएशन अवार्ड, आशा भोसले पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
तलत अजीज कहते हैं कि भारतीय संगीत उद्योग ने कभी भी उनके जैसा रत्न नहीं देखा। मैं इस शाम का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं क्योंकि हर कोई जानता है कि वह क्लासिक उमराव जान में फिल्म संगीत की दुनिया में मुझे पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे।
आई एस आर ए (ISRA) के संजय टंडन कहते हैं कि खय्याम साहब का संगीत कभी कभी नहीं बल्कि अनंत काल तक जीवित रहेगा।
गायत्री साहू
Post a Comment