बॉलीवुड अभिनेता चन्द्रमणि मिश्रा करीब चौदह वर्ष पहले मधुबनी, बिहार से फिल्म स्टार बनने का सपना लेकर मुम्बई आये थे और अपने संघर्ष व साधना के दम पर महज एक कलाकार बनकर रह गये हैं। वन डे, टू डे वर्क करते हुए आज भी संघर्षरत हैं। जब भी, जहाँ भी उन्होंने काम किया, अपने किरदार से सबका दिल जीत लिया। इसके बावजूद उन्हें ज्यादा शोहरत-दौलत नहीं मिली। बस अपनी मेहनत की कमाई से वह गुजारा कर लेते हैं। अच्छे किरदार की तलाश उन्हें आज भी है।
लाॅक डाउन के दौरान वह मुम्बई में नहीं हैं और बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में फंसे हुए हैं और परेशानी से जूझ रहे हैं।दरअसल उनकी माँ गांव में रहती हैं और इस समय बहुत बीमार हैं। लाॅक डाउन से पहले की बात है, उन्हें अपनी माँ की बीमारी की सूचना मिली और चन्द्रमणि मुम्बई से मधुबनी जाने के लिए निकल पड़े। 22 मार्च को एक दिन की बंदी के बाद अचानक 21 दिनों का लाॅक डाउन होने के कारण वह बीच राह में ही फंस गए। जिस ट्रेन से वह जा रहे थे वह बिलासपुर तक थी। वहाँ से आगे जाने के लिए उन्हें कोई दूसरा साधन भी नहीं मिला। इस लिए 23 मार्च से वह बिलासपुर के होटल अशोका में हैं। 21 दिवसीय प्रथम चरण के लाॅक डाउन के दौरान ही होटल में रहने-खाने की बिल से वह आर्थिक संकट में आ गये और फिर 19 दिवसीय लाॅक डाउन का दूसरा चरण शुरू हो गया। इस कारण वह पूरी तरह से टूट गये हैं।
आपको बता दें कि अभिनेता चन्द्रमणि मिश्रा एक संघर्षरत कलाकार हैं। पिछले बारह सालों में तकरीबन तीन-चार सौ टीवी शोज में अपने अभिनय के जलवे दिखा चुके हैं। 'क्राइम पेट्रोल', 'सावधान इंडिया' शो में उनको आपने देखा होगा। 'मोदी काका का गांव' फिल्म सेंसर विवाद के चलते चर्चा में आई थी। इस फिल्म में उन्होंने नायक की अहम भूमिका निभाई है। यह उनकी एक मात्र प्रदर्शित फिल्म है। वर्तमान में कुछ टीवी शो के अतिरिक्त उनकी एक और हिन्दी फिल्म बनकर तैयार है, जो लाॅक डाउन हटने के बाद उचित समय पर प्रदर्शित होगी।
फिलहाल चन्द्रमणि मिश्रा मुसीबत में हैं। वह बॉलीवुड में कलाकारों की सम्मानित संस्था 'सिंटा' के सदस्य भी हैं और आर्थिक रूप से इतने सम्पन्न भी नहीं हैं कि, होटल में रहने-खाने की कीमत दे सकें। सरकारी व गैर सरकारी संगठन, शासन-प्रशासन, और फिल्म उद्योग की यूनियन और उसके नेताओं से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन कहीं से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। बहुत परेशान होकर अपनी कहानी उन्होंने मीडिया के साथ साझा की है। शायद किसी दयालु दानवीर की उन पर नजर पड़ जाये। यहां पर एक बात और बता दें कि कई जगहों पर महीनों से इस कलाकार की पेमेन्ट बाकी है। उनसे भी सम्पर्क किया और मेहनत का पैसा नहीं मिला। करोड़ों की फिल्म बनाने वाला 'मोदी काका का गांव' फिल्म का निर्माता एक प्रतिष्ठित सी ए है और मुम्बई में अपनी शान -ओ- शौकत दिखाने के लिए लाखों रूपये खर्च करता रहता है। उस तथाकथित निर्माता ने फिल्म रिलीज होने के बाद अभी तक कई कलाकारों व टेकनीशियंस की पेमेन्ट नहीं किया है। चन्द्रमणि मिश्रा का भी पैसा बाकी है। बुरे वक्त में ऐसे लोगों से उम्मीद क्या करना?
एक चन्द्रमणि मिश्रा ही नहीं, बॉलीवुड के कई कर्मी कलाकार, टेकनीशियंस लाॅक डाउन के कारण मुसीबत में हैं। कितने सारे ऐसे लोग भी हैं, जो अपने घरों में हैं और भूखे रहकर दिन गुजार रहे हैं और अपनी छवि व स्वाभिमान के लिए किसी से कुछ कह नहीं रहे। हो सके तो, अपने आस-पास के लोगों के दर्द को आवाज़ दो, कुछ उनकी मदद करके पुण्य का भी काम कर लो।
- शामी एम इरफ़ान (वनअप रिलेशंस न्यूज डेस्क)
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