सूरत के युवा दंपति उत्तम और गंगा की दस साल की रिसर्च व डेटा संग्रह पर आधारित सिनेमा जगत हरफनमौला कलाकार व सुप्रसिद्ध गायक की पहली सचित्र रंगीन आत्मकथा 'झुमरू' अमेजन पर लॉन्च कर दी गई है। इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, निर्देशक रमेश सिप्पी और आयुष्मान खुराना द्वारा किशोर दा के बारे में कहे गए विचारों का भी उल्लेख किया गया है।
बकौल उत्तम 'बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार की प्रतिभा जितनी अचंभित करने वाली रही है, उतना ही रोमांचित रहा है उनका पूरा जीवन। गायकी, संगीत निर्देशन, लेखन, अभिनय या फिर निर्देशन जैसे सिनेमा के हर पहलू को अपनी प्रतिभा के पारस से कुंदन में बदलने वाले इस प्रतिभाशाली कलाकार पर यूं तो बहुत कुछ लिखा पढ़ा शोध किया जा चुका है, पर हमने उन अनछुए पहलुओं को तलाशने का प्रयास किया है जो अब तक अछूते रहे हैं। गंगा का भी यह मानना है कि उनकी शख्सियत को किताब के चंद पन्नों में समेटना बेहद दुरूह था। सिनेमाई रोमांच और सेल्यूलाइड की चमक दमक के परे उनके व्यक्तिगत जीवन के कई दिल को छू लेने वाले ऐसे प्रसंग है जो मंत्रमुग्ध करने के साथ-साथ ही अपनी छाप छोड़ जाते हैं हमारे दिलों में किशोर दा की गायकी, अदायगी की तरह।
इन बेशकीमती मनको को समेटते समेटते ही इतना लंबा वक्त कब खिंच गया पता ही नहीं चला पर इस लॉक डाउन के दौरान हम पति-पत्नी ने ठान लिया था कि उनके इन अछूते पहलुओं को इस किताब की शक्ल में दुनिया के सामने लाकर रहेंगे और वो हमने कर दिखाया। शायद किशोर दा की दुआएं हमें इस शुभ कार्य और लेखन के लिए हमें कहीं न कहीं प्रेरित कर रही थी।
संतोष साहू
बकौल उत्तम 'बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार की प्रतिभा जितनी अचंभित करने वाली रही है, उतना ही रोमांचित रहा है उनका पूरा जीवन। गायकी, संगीत निर्देशन, लेखन, अभिनय या फिर निर्देशन जैसे सिनेमा के हर पहलू को अपनी प्रतिभा के पारस से कुंदन में बदलने वाले इस प्रतिभाशाली कलाकार पर यूं तो बहुत कुछ लिखा पढ़ा शोध किया जा चुका है, पर हमने उन अनछुए पहलुओं को तलाशने का प्रयास किया है जो अब तक अछूते रहे हैं। गंगा का भी यह मानना है कि उनकी शख्सियत को किताब के चंद पन्नों में समेटना बेहद दुरूह था। सिनेमाई रोमांच और सेल्यूलाइड की चमक दमक के परे उनके व्यक्तिगत जीवन के कई दिल को छू लेने वाले ऐसे प्रसंग है जो मंत्रमुग्ध करने के साथ-साथ ही अपनी छाप छोड़ जाते हैं हमारे दिलों में किशोर दा की गायकी, अदायगी की तरह।
इन बेशकीमती मनको को समेटते समेटते ही इतना लंबा वक्त कब खिंच गया पता ही नहीं चला पर इस लॉक डाउन के दौरान हम पति-पत्नी ने ठान लिया था कि उनके इन अछूते पहलुओं को इस किताब की शक्ल में दुनिया के सामने लाकर रहेंगे और वो हमने कर दिखाया। शायद किशोर दा की दुआएं हमें इस शुभ कार्य और लेखन के लिए हमें कहीं न कहीं प्रेरित कर रही थी।
संतोष साहू
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