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(लेखक: प्रथमेश माल्या, एवीपी- रिसर्च नॉन एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड)

सोने के साथ भारतीयों का प्रेम संबंध दुनिया के अन्य हिस्सों में पीली धातु के प्रति सामान्य धारणा से बहुत अलग है, जहां इसे व्यापक रूप से सिर्फ निवेश विकल्प के रूप में देखा जाता है। सदियों से सोने को भारतीय परिवारों में एक विशेष स्थान मिला हुआ है और इसे शुभ और सजावटी संपत्ति के रूप में देखा जाता है। यह भावना आज भी खरीदारों की मानसिकता पर हावी है। भारत में सोना खरीदने वाले अधिकांश लोग इसे एक गैर-बिक्रीयोग्य भौतिक इकाई के रूप में देखते हैं और वे इसे एक निवेश के रूप में देखने के बजाय एक परंपरा के हिस्से के रूप में देखते हैं।
भारत में सोने की औसत वार्षिक मांग 800 से 1,000 टन प्रति वर्ष के बीच कहीं है। इसके अलावा, कोरोनावायरस लॉकडाउन और चार महीने के लॉकडाउन के माध्यम से यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों ने सोने को संपत्ति के तौर पर हासिल करने की मांग को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हालांकि, भारतीय सोने के लिए अन्य गैर-भौतिक निवेश विकल्पों को अपना सकते हैं। बड़ी संख्या में युवा पेशेवर अब अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं। लोग मौजूदा आर्थिक मंदी में सभी असेट क्लास में निवेश पर विचार कर रहे हैं, सोना कई यूनिक ऑफर के साथ सामने है।
मौजूदा ट्रेंड्स: बाजार की अस्थिरता और आर्थिक अनिश्चितता के समय में सोने के बाजार अक्सर निवेशकों को आकर्षित करते रहे हैं क्योंकि वे लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, और तो और मुद्रास्फीति के ट्रेंड को लगातार बढ़ा रहे हैं। पिछले एक दशक में जब भी लोगों के सामने वित्तीय संकट आया है तो उन्होंने सुरक्षित रहते हुए इसमें निवेश करने की बात कही, और इससे सोने की कीमतों में बढ़ोतरी होती चली गई। दिसंबर'19 से हमने सोने की कीमतों में तेज वृद्धि अनुभव की है और यह बढ़कर लगभग 54,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गई है (CMP: एमसीएक्स गोल्ड फ्यूचर्स 28 जुलाई 2020 को 52477/10 ग्राम पर था) जबकि 2019 में सोने की सर्वोच्च उड़ान 30,000 रुपए प्रति दस ग्राम तक ही थी। पिछले कुछ महीनों में, सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को दो अंकों में रिटर्न मिला है।
हालांकि, भारतीय बाजार में अब भी सोने पर एक भौतिक संपत्ति के रूप में भरोसा जारी है, और इसमें निवेश करने के लिए उपभोक्ता को बड़े पैमाने पर अपने गहने की आवश्यकता होती है। देश में किसी भी वर्ष सोने की मांग में से 60% तक की खपत अकेले दक्षिण भारत में है और वहां की आवश्यकताओं से प्रेरित होती है। शेष 40% शेष भारत से आती है। इसके अतिरिक्त, 70% से अधिक सोने की खरीद गहने बनाने की दिशा में होती है। दक्षिण भारत में यह मांग संस्कृति का अभिन्न और अंतर्निहित हिस्सा है, जहां परिवार और उत्सव के अवसर पर कीमती धातु के लिए भीड़ बढ़ती है, कीमत भी बढ़ती है।
सोने में निवेश के विकल्प: उपरोक्त घटनाक्रम के बावजूद, सोने में निवेश की आवश्यकता को अन्य साधनों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिससे हमें भौतिक संपत्ति से परे विकल्प मिलेंगे। लोग भारत सरकार की ओर से भौतिक सोने के लिए एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में शुरू किए गए सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
इसके अलावा, लोग ई-गोल्ड के रूप में सोना खरीद सकते हैं, जिसे डिजिटल पेमेंट गेटवे फाइनेंशियल इकोसिस्टम से असिस्टेंस मिलता है। गूगल पे, पेटीएम और फ़ोन पे जैसे सर्विस प्रोवाइडर अब ऐसे विकल्प प्रदान कर रहे हैं जहाँ किसी व्यक्ति की आवश्यकता के आधार पर एक ग्राम सोना या उससे अधिक खरीदा जा सकता है। इससे सोने के निवेश में अधिक से अधिक लचीलेपन की अनुमति मिलती है। विश्वसनीयता से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए, ये प्लेटफ़ॉर्म एमएमटीसी-पीएएमपी के साथ काम कर रहे हैं, जो एक सार्वजनिक क्षेत्र की सोने की रिफाइनरी है। यह सुनिश्चित करती है कि आपके सोने के निवेश में प्रमाणित 99.99% 24-कैरेट सोने की गुणवत्ता का निशान हैं। एक निश्चित मात्रा में जमा होने पर, मान लीजिये 8 से 10 ग्राम तक, ग्राहक भौतिक रूप में सोना प्राप्त करने का विकल्प चुनकर इसे किफायती बना सकते हैं और डिलीवरी पा सकते हैं।
वैश्विक आर्थिक पूर्वानुमान और उसका असर: हाल के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विकास के पूर्वानुमान वैश्विक अर्थव्यवस्था के 4.9% के संकुचन का संकेत देते हैं। यदि संबंधित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के व्यापार और अंदरूनी बाजार के डायनेमिक्स गिरावट की ओर बढ़ते हैं तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है। प्रयोगशालाओं में विकसित टीकों के अनुमोदन के बाद ट्रायल्स और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भरोसेमंद वैक्सीन का आना अनिश्चितता से भरी और समय लेने वाली प्रक्रिया है। अगर कोविड-19 प्रसार को रोकने में कोई सफलता नहीं मिलती है तो इससे रिकवरी की संभावनाएं और अधिक प्रभावित हो सकती है।
कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.ए.) भी एक है, जहां रोगियों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है। इटली, स्पेन और जर्मनी जैसे यूरोपीय देश अब रिकवरी के मार्ग पर है लेकिन 2020 के लिए आर्थिक विकास की ट्रेजेक्टरी अभी भी अस्पष्ट है। भारत और चीन दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक हैं और महत्वपूर्ण आर्थिक संकुचन के गवाह भी हैं। इस तरह के धुंधले आउटलुक को देखते हुए सोने जैसे असेट क्लास में निवेश को सुरक्षित माना जाता है। यह वर्ष 2020 में काम आ सकता है। यह विवेकपूर्ण है कि विदेशी और खुदरा निवेशक अपने संसाधनों को सोने की संपत्ति की ओर ले जा रहे हैं क्योंकि परिदृश्य सोने के बाजार के पक्ष में मजबूत दिख रहा है।
आदर्श बाजार परिदृश्य में किसी भी पोर्टफोलियो में सोने का आवंटन आमतौर पर महज 10% होता है। समग्र अनिश्चितता को देखते हुए, किसी भी असेट क्लास और विशेष रूप से सोने में आवंटन को 15% तक बढ़ाया जा सकता है। 2020 की पहली छमाही में सोने के निवेश पर पहले ही शानदार रिटर्न देखा गया है और बाद के आधे हिस्से में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना है।
निवेश के लिए सिफारिशें: स्थानीय ज्वैलर्स के साथ एसआईपी को अक्सर रिटेल निवेशकों एक विकल्प मानते रहे हैं। लेकिन यह एक जोखिम भरा प्रस्ताव हो सकता है। लोग भौतिक सोना खरीदते हैं या नहीं, उन्हें बड़े ब्रांड्स और विश्वसनीय ज्वैलर्स से खरीदना चाहिए जो बीआईएस हॉलमार्क लगा सोना दे सकते हैं। बीआईएस हॉलमार्क सोने के मानक और गुणवत्ता का संकेत है। सोने को लेकर धोखाधड़ी आम है क्योंकि अक्सर स्थानीय ज्वैलर्स 22-कैरेट सोने के रूप में कम शुद्धता वाले सोने को बेच सकते हैं, जिस पर आवश्यक गुणवत्ता का निशान भी नहीं होता। इसके अलावा, तकनीक-प्रेमी भारतीय उपभोक्ता आमतौर पर 22 कैरेट सोने से परिचित होता है, जिसका उपयोग गहने बनाने में किया जाता है। हालांकि, अगर वह निवेश कर रहा है, तो इसके बजाय उसे सिक्के या बार के रूप में 24 कैरेट सोना चुनना बेहतर होगा। बाजार संकेत देते हैं कि हम कीमतों में कम से कम 10 से 12% की अतिरिक्त वृद्धि देख सकते हैं और यह समय सोने के असेट क्लास में निवेश के लिए उपयुक्त है।

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