~ मुंबई का कोविड हीरो कला की शक्ति से हमेशा के लिए एक यादगार बन गया ~
मुंबई : कोरोना वायरस महामारी में आ रहें कठिन और दरिद्र परिस्थितियों को सामना करने के लिए आगे आते हुए परोपकारी व्यवसायी मॉरिस नोरोन्हा ने कईयों की मदद की। मदर टेरेसा की मिसाल और गरीबों के प्रति उनके समर्पण से प्रेरित हो कर मुंबई के निवासी मॉरिस नोरोन्हा ने समूचे महाराष्ट्र और खासकर मुंबई के 7 लाख से ज्यादा लोगों की मदद की। स्वयंसेवकों के एक दल के साथ काम करते हुए वह खुद मुंबई के कोने-कोने में जाकर खाने-पीने की बुनियादी वस्तुएं, दवाइयाँ और सुरक्षा उपकरण पहुंचाते हैं। वह अपनी खुद की बचत और अन्य लोगों के व्यक्तिगत दान पर निर्भर हैं; यहां तक कि उन्होंने अपना खुद का होम लोन भी त्याग दिया, जिसे वह पूरा चुका देने की योजना बना चुके थे। इसके अलावा उन्होंने पूर्ण रूप से सुसज्जित एक एम्बुलेंस भी खरीदी है, जिसका उपयोग नागरिक किसी भी आपात स्थिति में कर सकते हैं।
मॉरिस भाई के इस प्रेरक काम को सलाम करने तथा हमेशा के लिए याद करने के उद्देश्य से आर्टिस्ट आशुतोष हडकर ने मुंबई के उपनगर अंधेरी पूर्व स्थित मरोल इलाके में एक वॉल आर्ट की रचना की है। इस छवि पर मॉरिस का मुस्कुराता हुआ चेहरा हावी है। इसके इर्द-गिर्द उनके छोटे-छोटे कामों का एक क्रॉस-सेक्शन है, जो उनके अपार और विशाल काम को दर्शाता है, जैसे कि स्थानीय पुलिस थानों में पीपीई किट दान करना, खाली हाथ बैठे मजदूरों को खाना खिलाना, आप्रवासियों को उनके घर भेजने की तैयारी कराना और ऐसे समय में जबकि सब कुछ खो गया लगता था तब अनगिनत व्यक्तियों के मन में आशा का संचार करना। अपने प्रयासों के माध्यम से मॉरिस ने हजारों जिंदगियां बचाई हैं। यह भित्ति-चित्र सुनिश्चित करेगा कि उनके प्रयास कभी विस्मृत नहीं होंगे।
आशुतोष बचपन से ही पेंटिंग करते आ रहे हैं। हालांकि मॉरिस से वह कभी नहीं मिले थे लेकिन उनके बारे में उन्होंने पहली बार एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सुना। मॉरिस को लेकर गहरी जानकारी जुटाने और उनके काम के बारे में ज्यादा जान लेने के बाद आशुतोष ने इस उल्लेखनीय आदमी को सम्मानित करने का निश्चय कर लिया था। यद्यपि प्रारंभ में उन्होंने एक पेंटिंग बनाने की सोची थी लेकिन बाद में लगा कि मॉरिस की उदार भावना का चित्रण करने के लिए उनको बहुत बड़े कैनवस की जरूरत पड़ेगी। वाल आर्ट इंडिया के साथ बातचीत करने के बाद आशुतोष को जरूरत के अनुसार एक बड़ा स्थान प्राप्त करने में सफलता मिल गई। उनके कठिन परिश्रम का प्रतिफल अंधेरी पूर्व के मरोल स्थित लोक भारती मार्ग पर अब देखा जा सकता है।
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