मुंबई : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के उपलक्ष में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में 111 कवियों ने भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता डॉ अंजना बाजपेई ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पुरुषोत्तम दुबे उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रुप में संपादक अखंड प्रताप सिंह गहमरी, नाटककार विजय पंडित, डॉ कुंवर वीर सिंह, श्रीमती आशा जाखड़ तथा शायर इरफान नोमानी ऑनलाइन उपस्थित रहे। निर्णायक के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मानवीय तथा डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे। संजय कुमार मालवीय ने आभार व्यक्त किया।
मंच संचालन /दो सत्रों में हुआ प्रथम चरण में संचालन किया डॉ अलका पाण्डेय, चंदेल साहेब और डॉ प्रतिभा कुमारी परासर ने तो वहीं दूसरे सत्र का संचालन बिजैन्द्र मेव, शोभा रानी तिवारी और सुरेन्द्र हरडे ने किया।
सरस्वती वंदना शोभारानी तिवारी ने, स्वागत भाषण डॉ अलका पाण्डेय सभी अतिथीयों ने माँ शारदे को नमन कर कार्यक्रम शुरु किया।
मुख्य अतिथि पुरुषोत्तम दुबे ने अपने व्यक्तव्य में मंच व कवियों को बधाई दी। आशा ने कहा मंच के निमंत्रण से प्यार की महक आती है जो हम सब खींचें चले आते है कुंवर वीर सिंह ने कहाँ मैं आज की रचनाओं की ई बुक बना कर दूँगा। डॉ अंजनी बाचपेई ने सबको शुभकामनाएँ दी और अंखड प्रताप सिंह गहमरी ने १९ / २० दिसम्बर को गहमर में होने वाले साहित्य सम्मेलन में आने का निमंत्रण दिया।
अग्निशिखा मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अलका पांडे ने उपरोक्त जानकारी दी।
काव्य पाठ की कुछ कवियों की झलक -
आओ आज याद करे
बापू के बलिदानों को
सत्य अंहिसा की लाठी से
खादी वाली धोती से
अंग्रेज़ों को ललकारा था
देश प्रेम जगाया था
देश का बच्चा बच्चा जाग उठा था
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
सौ झूठ पर एक सच की मिसाद।
"मैं गाँधी हूँ"
हिंसा पर अहिंसा की विजय।
"मैं गाँधी हूँ"
देश-प्रेम का जीता जागता उदाहरण।
"मैं गाँधी हूँ"
- चंदेल साहिब
देश हमारा सबसे प्यारा, अखंड राष्ट्र का सपना है।
होने न देंगे टुकड़े इसके, ऐसा संकल्प ये अपना है।।
प्राची से होता उदित सूर्य, धरती को सुनहरा कर देता।
मुक्ता, माणिक, हीरे, पन्ना से, अकेला इसको भर देता ।
- कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश।
अखण्ड भारत
काश भारत अखण्ड रहता
न खेली जाती खून की होली
तब शायद राष्ट्र पिता का मन
सुखी और सन्तुष्ट होता
- चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट चित्तौड़गढ़ राजस्थान
अपनी हर बात को सुनाने का,
वे हट कर ही मार्ग अपनाते थे।
दंगे फसाद से कोसों दूर रहकर भी,
शांति पूर्वक अपनी बात मनवाते थे।।
- सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश
उठे जज़्बात की आंधी तो दुनियां चौंक जाएगी,
लहू के रंग से लिखेंगे ,जो दृष्टि उठ के आएगी।
रचनाकार- शेखर रामकृष्ण तिवारी, आबू धाबी/मुंबई
धर्म, कर्म सब है समष्टिगत, छोड़ो या तुम धारो,
करने को है प्यार जगत से, जग से घृणा बिसारो,
सब मेरा है, मैं सबका हूँ, व्यष्टि रही सामान्य,
खास नहीं कुछ, सबको समरस, जड़ से चेतन यारो।
- ज्ञानेश कुमार मिश्र
मुझे गांधी ने सिखलाया, जिऊँ मैं कैसे यह जीवन
बनाऊँ कैसे मैं इस देह और मन को प्रखर, पावन
मुझे नैतिकता-पथ दिखलाके, रोशन आत्मा कर दी,
पूज्य बापू के कारण ही, महकता है मिरा मधुवन।
- प्रो.शरद नारायण खरे मंडला, मप्र
खादी पहनकर दी आजादी
स्वदेशी मंत्र लाया
पहले बापू, फिर महात्मा
राष्ट्रपिता कहलाया।
- शोभारानी तिवारी
सादा जीवन उच्च विचार
सात्विक तन-मन, शुध्दाचार
सत्य अहिंसा और प्रेम का
दिया तुमने पैगाम!!
- सुरेन्द्र हरडे कवि, नागपुर (महाराष्ट्र)
2 अक्टूबर का दिन इतना गौरव बान है ।
भूलेंगे ना भूलने देंगे यह कितना महान है।।
पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
लघु लेख महात्मा गांधी पर
- ओजेंद्र तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
अखण्ड भारत
काश भारत अखण्ड रहता
न खेली जाती खून की होली
तब शायद राष्ट्र पिता का मन सुखी और सन्तुष्ट होता
- चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट चित्तौड़गढ़ राजस्थान
आज हैं दो अक्टूबर का दिन हैं, आज का दिन है बडा महान,
आज के दिन दो फूल खिले थे जिनसे महका हिन्दुस्तान
एक नारा सत्य अहिंसा, एक का नारा जय जवान, जय किसान,.
- जनार्दन शर्मा
आज से बेहतर कल बनाओ
सत्कर्म सिद्धान्तों मुक्त विचार रख
कलियों फूलो की सुगंध फल से
प्रकृति जीवन को मधुर बनाओ
कमियों को नज़र अन्दाज़ कर
पारदर्शी जीवन दर्पण दिखा
सज्ञान लेकर देकर जीवन सवारों
अग्नि शिखा मंच को सफल बनाओ
- अनिता शरद झा, रायपुर छत्तीसगढ़
लाल बहादूर शास्त्री जी, शत शत नमन,
शांति समझौते पर, हस्ताक्षर का शिकार था,
अंतिम सांस ताशकंद में लिया, देश ने कर्म वीर खोया, दिल का दौरा बता दिया,
ताश्कंद की आबोहवा में, दबा एक राज था,
शास्त्री जी के मृत्यु पश्चात, भारत रत्न का खिताब मिला,
- पद्माक्षी शुक्ल
साल के होते बारह महीने
सावन के लोग दिलाने होते
सावन में होता प्रकृति का
निश्छल अद्भुत हरित श्रंगार
हरियाली की चादर ओढ़े
प्रकृति लुटाती अप्रतिम प्यार
- शुभा शुक्ला निशा, रायपुर छत्तीसगढ
हर एक लफ्ज़ की गर्माई में शीतलता का आभास करें,
जंग कोई भी लड़े जीवन में तलवार से मजबूत है कलम इसकी ताकत का विश्वास करें।
- विजेन्द्र मेव "भाईजी" राजस्थान
एक धर्म एक कर्म
सादा जीवन उच्च विचार
ऐसे थे हमारे बापू महान
- स्मिता धिरासरिया, बरपेटा रोड
अग्नि सिखा मंच पर आज चली काव्य की आंधी
सभी ने याद किया शास्त्री महान गाँधी।
देश भक्ति की लहर भरपूर रही
कवियों की सराहना बेमिसाल रही।
- प्रेरणा सेन्द्रे
निर्मल निश्छल प्रेम का,
हो अतुलनीय भाव तुम।
मधु वैष्णव "मान्या"
दो अक्टूबर का दिन पावन ।
फूल खिला था अति मनभावन ।।
गाँधी मन मोहन बन आए ।
भारत भू का मान बढ़ाए ।।
- इन्द्राणी साहू साँची
मुश्किल सहन की सफर रखा जारी!
बापू जी थे अहिंसा के पुजारी!!
- डॉ महताब अहमद आज़ाद
बापू फिर एक बार आ जाओ
क्या बापू ये क्या कर दिया,
सत्य अहिंसा का संदेश दे दिया,
कैसे लोगो के हाथ देश को सौप दिया,
सत्य अहिंसा के संदेश को तार तार कर दिया,
बापू फिर एक बार आ जाओ
देश दुनिया को सत्य अहिंसा का संदेश दे जाओ
बापू फिर एक बार आ जाओ।
- संजय कुमार मालवी (आदर्श) इंदौर।
भारत छोडो़ आंदोलन में
सक्रिय भागीदारी निभाई। गांधी जी समाज सुधारक
आजा़दी के सशक्त पुरोधक
शास्त्री का सादा जीवन उच्च विचार
नारा दिया जय जवान जय किसान।
- डॉ अँजुल कंसल "कनुप्रिया"
इंदौर मध्यप्रदेश (स्वरचित)
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