नवी मुम्बई। भारतीय अग्निशिखा मंच, समाजिक साहित्यिक संस्था है जो विगत 25 वर्षों से सामाजिक व साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन करती है। संस्था द्वारा लॉकडाऊन में भी निरंतर ऑनलाइन कवि
सम्मेलन होता चला आ रहा है। रविवार को संस्था का 61 वाँ कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसका विषय ' तो बच्चा है' रखा गया था। साथ ही सम्मान समारोह में सभी प्रतिभागी कवि व पत्रकार को अग्निशिखा मंच संस्था ने प्रमाण पत्र भी प्रदान किया। ऑनलाइन पर उपस्थित सभी कवियों ने विडीयो व आडियो के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संतोष साहू , विशिष्ठ अतिथि अमरेन्द्र मिश्र, जनार्दन सिंह, राम रॉय, कुंवर वीर सिंह, आशा जाकड, नागेन्द्र दुबे, समारोह अध्यक्ष श्रीहरि वाणी, समीक्षक विष्णु शर्मा रहे। मंच संचालन डॉ अलका पाण्डेय और चंदेल साहिब तथा दूसरे सत्र का शोभा रानी तिवारी और सुरेन्द्र हरड़ें ने किया।
मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया कि हर इंसान में एक बच्चा जीवित होता है। कभी बच्चा बन कर जीवन को तरो ताज़ा करना चाहिए। सभी 85 कवियों ने बच्चा बनकर नाचते गाते हुए सुंदर प्रस्तुति दिया।
कुछ झलक -
दिल तो बच्चा है नादान है
कितना प्यारा सबका दुलारा है
पचपन को बचपन जैसा प्यार करो ।
दिल तो बच्चा है, तभी तो सच्चा है
- डॉ अलका पाण्डेय
बचपन कितना प्यारा था
मुट्ठी में जग सारा था
ना थी चिंता कोई फ़िक्र
रहती थी ममता की नजर
सब का राज दुलारा था।
बचपन कितना प्यारा।।
- श्रीराम रॉय
उदास होकर बोला तारा, बचपन नहीं बचपना दे सकता हूँ तुम्हें।
प्यार मासूमियत विश्वास सच्चाई के साथ हरदम रहूँगा तुम्हारे पास।
और फिर वो दिल बन कर समा गया मुझमें ।।
- वीना अचतानी
आज जाना है, विद्यालय में,
मस्ती भरे मन से, मिलना है सबसे,
मां शारदा के, चरण छूने है,
गले लगना है, अलका दी से,
गझल शीखना है, छुटका भैया से,
विधा पढ़ना है, आशा-अंजुल जी से,
ज्ञान पाना है, सुधा दीदी से,
छंद शीख ना है, इंद्राणी जी से,
अपनी चोटी में, बांध लुं विधा,
- पद्माक्षी शुक्ल, जय अंबे,
उम्र पचपन की
दिल बचपन
यादों की झरोखे में
बचपन की याद ताजा
रखने, जमाने में याद रखेगा
बचपन हमारा
- सुरेन्द्र हरडे मंच सचांलक नागपुर
औरों के लिए दिल बड़ा रखो
यह सबके लिए अच्छा है जी
दिल पर पत्थर रखकर
पन्नाधाय ने स्वामी भक्ति दिखाई
किस्सा ये सौ टंच सच्चा है जी
दिल तो बच्चा है जी
- चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर चित्तौड़गढ़ राजस्थान
दिल तो बच्चा है
अभी भी सोचो तो लगता अच्छा है
कितने मासूमियत भरे दिन
लगता वही जीवन सच्चा है
- पदमा तिवारी दमोह
बचपन की होती गजब कहानी
होती सभी की जानी-मानी
नहीं लगता मन घर में
लगती सिर्फ दुनिया दीवानी।।
- ओजेंद्र तिवारी दमोह
बीता बचपन था बड़ा सुहाना,
हर रोज़ लड़ने का नया बहाना।
छोटे-२ कामों से बाहर जाना,
दोस्तों के सँग खेलना व खाना।
- चंदेल साहिब
क्रीड़ा करने बाल सुलभ, सबको मिलता है बचपन।
बालपने के भाव हृदय रख, होते खुश वय हो पचपन।।
- कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश
याद जब भी आता है बचपन।
बच्चा बन जाने का करता मन।।
वह माँ का प्यारा सा आँचल।
जिसकी छाँव से खुश था जीवन।।
- डॉ. महताब अहमद आज़ाद
चालाक लोमड़ी रोटी चाहती,कौएं को वो मस्का लगाती मुझे तेरी आवाज है भाती
- वीना आडवानी नागपुर, महाराष्ट्र
पीड़ाओं का सागर हूंँ मैं ।
भाव भरी रस गागर हूँ मैं।
जान सके तो जान साथिया
पथ भटका रत्नाकर हूँ मैं।
- विष्णु शर्मा 'हरिहर'
उम्र सरकती गई धीरे-धीरे,
शौक भी हर पल बढ़ते गए।
कुछ पूरे भी हो गए पर कुछ,
जिम्मेवारी के सामने झुकते ।।
- सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश
कार्यक्रम में प्रमुख कवि गोवर्धन लाल बघेल, चन्दा डांगी, प्रेरणा सेन्द्रे, द्रौपदी साहू, सुषमा शुक्ला, बृजकिशोरी त्रिपाठी, शोभा रानी तिवारी, मधु वैष्णव "मान्या", सुरेन्द्र हरड़े, ममता तिवारी, आनंद जैन अकेला, डा अँजुल कंसल", शुभा शुक्ला निशा, मधु वैष्णव "मान्या", रजनी अग्रवाल, ओजेंद्र तिवारी, पदमा ओजेंद्र तिवारी, मंजुला वर्मा, सीमा दुबे, रेखा पांडेय, जनार्दन शर्मा, शेखर राम कृष्ण तिवारी, ज्ञानेश कुमार मिश्रा, वीना अडवाणी, विजय बाली, रानी नारंग, दिनेश शर्मा, शोभा रानी तिवारी, ममता तिवारी, वैष्णो खत्री वेदिका, लीला कृपलानी, सुनीता चौहान, स्मिता धिरासरिया, शकुन्तला पावनी, मुन्नी गर्ग, अंकिता सिन्हा, अनिता झा, ओमप्रकाश पाण्डेय, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सुनीता अग्रवाल, इन्द्राणी साहू "साँची", राजेश कुमार बंजारे, चंदेल साहिब, सुरेंद्र हरड़े, विजेन्द्र मेव, प्रतिभा कुमारी पराशर, संजय कुमार मालवी, चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट, कवि आनन्द जैन अकेला, रानी अग्रवाल, दविंदर कौर होरा, डॉ नेहा इलाहाबादी, सुषमा शुक्ला, पद्माक्षी शुक्ल, प्रो शरद नारायण खरे, डॉ नीलम खरे, नीलम पाण्डेय, बृजकिशोरी त्रिपाठी हीरा सिंह कौशल, गोवर्धन लाल, शुभा शुक्ला निशा, कुवंर वीर सिंह मार्तण्ड, आशा जाकड, मीरा भार्गव, चंद्रिका व्यास, डा. साधना तोमर, डा.महताब अहमद आज़ाद, डॉ मीना कुमारी 'परिहार', रविशंकर कोलते, डाॅ उषा पाण्डेय, गीता पांडेय "बेबी" जबलपुर, सुषमा मोहन पांडेय, वंदना शर्मा, डॉ अंजूल कंस, कांता अग्रवाल, डॉ ब्रजैन्द्र नारायण द्विवेदी, गरिमा, डॉ महेश तिवारी चन्देरी, डाॅ पुष्पा गुप्ता, बरनवाल, मनोज अंजान, मीना गोपाल त्रिपाठी, गुरिंदर गिल, उपेंद्र अजनबी, माधवी अग्रवाल "मुग्धा, डॉ रश्मि शुक्ला, अरुण कुमार मिश्र, डॉ संगीता श्रीवास्तव ,डॉ ज्योत्सना सिंह, साहित्य ज्योति हेमा जैन, रागिनी मित्तल कटनी, मालविका “मेधा", सावित्री तिवारी, रंजन शर्मा, श्रीमती निहारिका झा, देवी प्रसाद पाण्डेय, रंजना शर्मा "सुमन", उमा पाडेंय, सुरेंद्र कुमार जोशी, रेखा चतुर्वेदी, कल्पना भदौरिया "स्वप्निल, दीपा ओझा, वीना अचतानी का समावेश रहा।
सबका आभार अलका पाण्डेय ने किया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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