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एसआईपी एकेडमी इंडिया ने अपनी 18 वीं वर्षगांठ पर  141 बच्‍चों के लिये निशुल्‍क कोर्स

मुंबई : महिलाओं ने समाज में खासकर उद्यमियों के तौर पर महामारी के दौरान काम और घर को संभालने की चुनौती का सामना किया है। महामारी के दौरान, स्‍वास्‍थ्‍य संबंधित जोखिम और आर्थिक अनिश्चितता के कारण काम और घर को संभालने की चुनौतियाँ काफी बढ़ गई थीं। कई परिवार आज भी इन कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। एसआईपी एकेडमी की सभी कोर्स इंस्‍ट्रक्‍टर्स महिलाएं हैं। पूरे भारत में ऐसी कुल 4000 से ज्‍यादा इंस्‍ट्रक्‍टर्स हैं। वे एसआईपी में दो कोर्सेस पढ़ाती हैं- एबेकस ओर ग्‍लोबलआर्ट। भारत में कुल 850 फ्रैंचाइजीस में से 95% भी महिलाएं ही हैं।

एसआईपी एकेडमी की फ्रैंचाइजी पार्टनर्स और कोर्स इंस्‍ट्रक्‍टर्स इस यात्रा का अभिन्‍न हिस्‍सा रही हैं। वे न्‍यूनतम बाधा के साथ अपने उपक्रम जारी रखें, इसके लिये उन्‍हें सक्षम बनाने की एकेडमी की प्रतिबद्धता सचमुच उल्‍लेखनीय है। अनुकूल बनने और आगे बढ़ने के लिये एकेडमी के पार्टनर्स ने जो एनर्जी और उत्‍साह दिखाया, उसके फलस्‍वरूप एसआईपी एकेडमी ने दो महीनों के भीतर अपना बिजनेस मॉडल बदल दिया।

महाराष्ट्र  के मुंबई शहर में एसआईपी एकेडमी के एसआईपी एबेकस और ग्‍लोबलआर्ट प्रोग्राम्‍स को बहुत अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिला। बच्‍चे महामारी के दौरान भी बड़ी संख्‍या में इन प्रोग्राम्‍स में एनरोल हुए। ऐसा इसलिये हुआ, क्‍योंकि वे ध्‍यान, एकाग्रता, दर्शनीय स्‍मृति, इन्‍हें बनाये रखने और याद कर सकने तथा गणित में दक्षता वाली कुशलताओं और रचनात्‍मकता की शक्ति विकसित करने का लाभ उठा सकें। इस प्रकार बच्‍चे के आत्‍मविश्‍वास का सर्वांगीण विकास होता है।

एसआईपी एकेडमी इंडिया ने अपनी 18 वीं वर्षगांठ मनाई है। कंपनी की सफलता का उत्‍सव मनाते हुए, मैनेजिंग डायरेक्‍टर दिनेश विक्‍टर ने घोषणा कर दी कि महामारी से प्रभावित हुए अपने स्‍टूडेंट्स को सहयोग देने के लिये, एसआईपी एकेडमी इंडिया 141 बच्‍चों के लिये कोर्स की निशुल्‍क समाप्ति करेगी। यह एसआईपी एकेडमी के वे मौजूदा स्‍टूडेंट्स हैं, जिन्‍होंने महामारी के दौरान पेरेंट में से किसी एक (माता या पिता) को खोया है। पूरे कोर्स की अवधि 3.5 से 4 वर्ष है, जबकि दिनेश ने यह घोषणा की है कि बच्‍चे के मौजूदा लेवल से इतर, एसआईपी एकेडमी कोर्स की शेष अवधि के लिये मासिक शुल्‍क नहीं लेगी।

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