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मुम्बई : अग्निशिखा मंच समाजिक और साहित्यिक संस्था है जो पिछले कई वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है। साथ ही हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विगत दस वर्षों से काव्य सम्मेलन का आयोजन होता चला आ रहा है। इस संस्था की अध्यक्ष डॉ अलका पांडेय ने कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में ऑनलाइन कवि सम्मेलन शुरु किया। इसी कड़ी में रविवार दिनांक 26 सितम्बर 2021 को 125 वाँ कवि सम्मेलन व अगस्त माह के श्रेष्ठ रचनाकारों का सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राम राय ने की और मुख्य अतिथि रहीं डॉ अर्चना दुबे वहीं विशेष अतिथि शिव पूजन पाण्डेय, संतोष साहू, पन्ना लाल शर्मा, आशा जाकड आदि ने मंच के गरिमा प्रदान की। ऑनलाइन कार्यक्रम का मंच संचालन अलका पाण्डेय, सुरेन्द्र हरड़ें, शोभा रानी तिवारी ने किया जिसका विषय 'कभी ऐसा भी तो हो' रखा गया था। उसी अवसर पर करीब 60 कवियों ने अपनी स्वरचित रचनाओ का पाठ किया और अगस्त माह में जिन कवियों ने हर सप्ताह दिये गये विषयों पर कम से कम बीस दिन रचना लिखी उन कवियों को अग्निशिखा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। 

प्रस्तुत है कुछ कवियों की रचनाओं की झलक 


कभी यूँ भी तो हो 

हम दोनों चाँदनी रात में 

चाँद तारो के साथ में 

हाथो में हाथ लिये 

बतियाते रहे

कभी यूँ भी तो हो 

मैं खामोश रहू 

मेरे नयन बोले 

और तुम सब मन की बात जानो

मेरे प्यार को पहचानो

कभी यूँ भी तो हो 

मेरी संवेदनाएँ 

अंतस कीं पीड़ाएँ 

बिन कहे तुम जानो 

मेरी भावनाओं को पहचानो 

मेरे प्यार की गहराई 

समझ सके तो समझो

कभी यूँ भी तो हो 

सागर के तट पर 

बहती लहरों में 

नंगे पैरों रेती पर 

हम दोनों चलाते रहे 

न समय का पता हो 

न मंज़िल का ठीकाना 

बस तेरा मेरा साथ हो

कभी यूँ भी तो हो 

जीवन के कँटीली राहों पर 

सदा तेरा साथ रहे 

अंतिम साँसो तक 

मेरी आँखों में तेरी छबी रहे 

हर साँस पर तेरा ही नाम हो 

सदा सबका कल्याण हो 

कभी यूँ भी तो हो

- अलका पाण्डेय, मुम्बई


कजरी गीत

राधा निहारत झूला झूलें-देखो

कान्हा की बाजत बाँसुरिया

देखो रितु आई सावनिया

बदरी छाई गगनवा

आओ सखियाँ हिंडोला झूलें

देखो कान्हा की भोली सुरतिया

देखो गा रही कोयलिया

- डॉ अँजुल कंसल "कनुप्रिया"


आया श्राद्ध पक्ष आश्विन कृष्ण पक्ष को

इस पक्ष हमस्वागत करते अपने बड़ों का

जिन्होने प्यार से मनुहार से आशीष से

भर दिया हमारे जीवन को

देता हूंँ मैं जल आपको

क्या इसे स्वीकार कर धन्य करेंगे आप हमको 

आपके दिखाये रास्ते पर चलूंगा

यह विश्वास दिलाता हूँ आपको

- नीरजा ठाकुर नीर, पलावा डोंबिवली


कभी ऐसा भी हो

मेरा बचपन लौटा दे

हे ईश्वर मुझे कुछ नहीं चाहिए

मेरा बचपन लौटा दे।

- सुरेंद्र हरडे, नागपुर


ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रतिभागी रचनाकार राम रॉय, पी. एल शर्मा, आशा जाकड, नीरजा ठाकुर, सुरेन्द्र हरड़ें, अलका पांडेय, शोभा रानी तिवारी, वैष्णो खत्री, ब्रज किशोरी त्रिपाठी, वीना आडवानी तन्वी, सरोज दुगड़, विजयेन्द्र, कुमकुम वेदशेन, वीना अचतानी, डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेद्वी शैलेश, कुमार वीर सिंह  मार्तण्ड, डॉ. महताब अहमद आज़ाद, डॉ अंजुल कंसल, रजनी अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, पदमा तिवारी, पद्माक्षि शुक्ल, हेमा जैन, मीना गोपाल त्रिपाठी, तारा प्रजापत "प्रीत", रागिनी मित्तल, डाॅ पुष्पा गुप्ता, सुषमा शुक्ला, स्मिता धिरासरिया, नीरज शास्त्री, वंदना शर्मा, चंद्रिका व्यास, पद्माक्षि शुक्ल, रानी अग्रवाल, ओमप्रकाश पांण्डेय, रामेश्वर गुप्ता, डॉ देवी दिन अविनाशी, गणेश प्रसाद तिवारी, अंशु तिवारी, सरोज लोड़ाया, स्नेह लता पांडे, रागिनी मित्तल, मीना कुमारी परिहार, लीला कृपलानी, निहारिका झा, अंजली तिवारी, नीलम पांडेय, श्रीवल्लभ अंबर, गोवर्धन लाल बघेल, अनिता झा, आशा नायडू, मुन्नी गर्ग, रानी नारंग रहे।

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