मुम्बई : अग्निशिखा मंच एक सामाजिक और साहित्यिक संस्था है जो कई वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विगत १० वर्षों से काम हो रहा है। संस्था द्वारा लॉकडाउन में ऑनलाइन कवि सम्मेलन शुरु किया गया। इसी कड़ी में दीपावली उत्सव के पूर्व १२७ वाँ कवि सम्मेलन व सितम्बर माह के श्रेष्ठ रचनाकारों का सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ।
मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय के अनुसार कार्यक्रम की अध्यक्षता राम रॉय ने की और मुख्य अतिथि डॉ कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड रहे। वहीं विशेष अतिथि शिव पूजन पाण्डेय, संतोष साहू, पन्ना लाल शर्मा, आशा जाकड, जनार्दन सिंह आदि ने मंच के गरिमा प्रदान की। मंच संचालन अलका पाण्डेय, सुरेन्द्र हरड़ें, शोभा रानी तिवारी ने किया। काव्य सम्मेलन का विषय “दीपावली“ रखा गया था। करीब ७० कवियों ने अपनी स्वरचित रचनाओं का ऑनलाइन पाठ किया और सितम्बर माह में जिन कवियों ने हर सप्ताह दिये गये विषयों पर कम से कम बीस दिन रचना लिखी उन कवियों को अग्निशिखा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
अंत में मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने सबको दीपावली की शुभकामना दी और आभार व्यक्त वैष्णो खत्री ने किया।
प्रस्तुत है कवियों की कुछ रचनाओं की चंद पंक्तियाँ -
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
आओ मिलकर दीप जलायें ।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
लक्ष्मी पूजन विधी से करवाये ।।
दुख सब जीवन के मिट जायें ।
अंधेरा दिलो का दूर हो जायें ।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
स्वदेशी दीपक लेकर आये ।।
ग़रीबों का रोज़गार बढ़ायें ।
मिठाईयां घर पर ही बनायें।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
फटाके अब नही छुड़ायें ।।
प्रदूषण से सबको बचायें ।
जन जन में जागृति लायें ।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
महामारी से सबको बचायें ।।
मास्क पहन कर बाहर जायें ।
बच्चो को यह सब समझायें ।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
सब को ख़ुशियों से मिलवायें ।।
बड़े बुज़ुर्गों का आशीष पायें ।
स्नेहभरी झप्पी नही ले पायें ।।
दीपोत्सव का पर्व मनायें ।
चहके और सबको चहकाये ।।
दूर रह कर ही हाथ मिलायें ।
- अलका पाण्डेय
दीपों का त्योहार दिवाली,
करे दूर अंधकार दिवाली,
जगमग जगमग दीप जले,
जगे उमंग दिल में उत्साह पले।
- रानी अग्रवाल
दीप तुम्हें तो जलना होगा
अंर्तमन के कलुश मिटाने
तम को भी तो पीना होगा
दीप तुम्हें तो जलना होगा।
- शोभा रानी तिवारी
प्रकाश पुंज दीप, उन्नति का प्रतीक
उदासी के सन्नाटे टूटे
नेह के ताप से तम पिघलता रहे
स्नेह का दीप जलता रहे
- वीना अचतानी
आओ मिलकर इस दिवाली
उम्मीदों का ऐसा दीप जलाये
कि गरीबों की कुटिया में
अंधेरा दूर कर रौशनी फैलाये
- हेमा जैन
आओ प्रेम के दीप जलायें,
मिलकर ज्योति-पर्व मनायें।
तिमिर घना यह मिट जाये,
सत्य सदा ही विजय पाये।
- डॉ. साधना तोमर
आई है दीपावली, बाँटो खुशियाँ प्यार।
दीपक से दीपक जला, दूर करो अँधियार।
लौटे आज अवधपुरी, राम काट वनवास।
झूम उठी नगरी सकल, मन में भर उल्लास
- अग्नि शिखा मंच
दीवाली है दीवाली पे दिए जला रहे हो
मगर देखो, कहीं अधेरा तो नही है
दीवाली है, दीवाली पे जगमग दीप जल रहे हो, मगर देखो
कहीं कोई रोता तो नही है दीवाली है,
तुम पकवान बना रहे हो, मगर देखो,
कही कोई भूखा तो नही है, दीवाली है
- इशिता सिंह
खुशियों का त्यौहार, विजय का हो हार
मनाएंगे मिलकर खुशियाँ, आया दीप त्यौहार
- प्रेरणा सेन्द्रे
दिवाली की सफाई काम वाली बाई
सांसों का सौरमंडल छेड़ो, बाई से मुंह कभी ना मोड़ो, बाई लगती सबकी मैया, शीतल मधुकर इसकी छैयां
- सुषमा शुक्ला इंदौर
हो गई घर की रंगाई पुताई
अब है मिठाई बनाने की तैयारी
रोशनी मिट्टी के दिये की ही करना
कुम्हार का घर भी जगमगा उठेगा
दिये मिट्टी के ही जलाना
- चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
दीपों की लड़ियाँ झूलती झूम के
जब मेरे घर के दिवारों चौबारों पर
उतर आता फिर चांद जमीं पर
फिर रात वहीं रुक जाती है
है मेरे घर की जगमग दीवाली
- ओमप्रकाश पांडेय
प्रज्वलित कर सकें एक दीप ऐसा जो,
एक दीप ऐसा जो आंधियों में जल सके।
लड़ सके अंधेरों से, दे सके रौशनी।
प्रज्वलित कर सकें एक दीप ऐसा जो
प्रेम से सधा हुआ, भाव से गुंथा हुआ।
नेह की बाती से, रिश्तों को जोड़ दे।।
प्रज्वलित कर सकें एक दीप ऐसा जो
शान्ति का प्रतीक हो, हर दिशा में व्याप्त हो
- निहारिका झा
पितृ आज्ञा कर शिरोधार्य,
वन को गये कुवँर श्री राम !
चौदह बरस का काट वनवास,
लौटे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
- सरोज दुगड़
जगमग जगमग दिप जले
राम जी सबसे गले मिले।
आज अवध मे मनी दिवाली।
हर चेहरे पर खुशी निराली।
भानुजा राम प्रभू के गुण गाये।
प्रभू चरण मे शीश झुकाये।
- बृजकिशोरी त्रिपाठी
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