फिल्म समीक्षा - साढ़े तीन स्टार
गायत्री साहू,
मुम्बई। मार्वल सीरीज की फिल्मों में कई सुपरहीरो हैं, जैसे कि आयरनमैन, कैप्टन अमेरिका, कैप्टन मार्वल, थॉर, हल्क, स्पाइडरमैन, अंटमैन, ब्लैक विडो आदि। अब एक और नया सुपर हीरो मार्वल में जुड़ने वाला है एक साधारण इंसान से सुपर हीरो बनने की कहानी है मॉर्बियस। यह मार्वल कॉमिक्स पर आधारित चरित्र है फ़िल्म में भी यही नाम है, यह एक अमेरिकी सुपरहीरो फ़िल्म है। फ़िल्म का निर्माण कोलंबिया पिक्चर्स ने मार्वल के साथ मिलकर किया है, जबकि इसका वितरण सोनी पिक्चर्स ने किया है। फ़िल्म वेनम (2018) के बाद यह सोनी की मार्वल यूनिवर्स में दूसरी फ़िल्म है। फ़िल्म का निर्देशन डैनियल एस्पिनोसा ने मैट शज़ामा एवं बर्क शार्पलेस और आर्ट मार्कम एवं मैट हॉलोवे की एक पटकथा पर किया है।
माइकल मॉर्बियस (जैरेड लेटो) एक दिव्यांग बच्चा है जो डॉक्टर निकोलस (जैरेड हैरिस) की देखरेख में डॉक्टरी सुविधा युक्त हॉस्टल में रहता है जहाँ एक दिव्यांग बच्चा लुसियन क्राउन (मैट स्मिथ) आता है, माइकल की उससे दोस्ती होती है। माइकल के डीएनए में जेनेटिक खराबी है जिसके कारण वह चल नहीं सकता शारीरिक रूप से दुर्बल है, लुसियन भी ऐसी ही जेनेटिक दुर्लभ बीमारी के कारण अपंग है। माइकल अपने दोस्त को प्यार से मायलो नाम से बुलाता है। माइकल बड़ा होकर डॉक्टर बनता है और अपने जैसे लोगों की बीमारी को दूर करने हेतु शोध करता है जिसमें डॉक्टर मार्टिन बैनक्रॉफ्ट (एड्रिया अर्जोना) उनकी सहायता करती है। यह शोधकार्य वह चमगादड़ पर करता है। यह एक्सपेरिमेंट माइकल स्वयं पर करता है एक्सपेरिमेंट सफल तो होता है किंतु उसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं, माइकल एक खून पीने वाले पिशाच में बदल जाता है और लोगों की हत्या कर देता है। होश में आने के बाद माइकल को अपनी भूल पर पछतावा होता है कि उसने अनजाने में मासूम लोगों को शिकार बना दिया। अपनी खोज में हुई भूल को सुधारने के लिए माइकल फिर कोशिश करता है क्योंकि वह नहीं चाहता कि वह नर पिशाच बन लोगों की जान का दुश्मन बन जाये वह स्वयं पर कंट्रोल करने के लिए आर्टिफिशियल खून का सेवन करता है। लेकिन एक बार फिर उसके ही हॉस्पिटल में एक नर्स पिशाच का शिकार बन जाती है। लोगों की मौत होता देख पुलिस और खोजी विभाग माइकल को गिरफ्तार कर लेते हैं। फिर उन्हें पता चलता है कि लोगों की हत्या कर खून पीने वाला माइकल नहीं है। माइकल से जेल में लुसियन एक वकील बनकर मिलने आता है। लुसियन के व्यवहार को देख माइकल को उस पर शक होता है कि उसकी खोज का लुसियन ने इस्तेमाल किया है और लोगों का हत्यारा उसका दोस्त लुसियन है। माइकल ने लुसियन को एक्सपेरिमेंट में गलती के कारण उसके हैवान बनने की घटना बताई थी और उसे उसका इस्तेमाल करने से मना भी किया था, पर सब जानते हुए अपनी बीमारी दूर करने के लिए लुसियन वह सीरम का प्रयोग करता है। अब दो पिशाच हो जाते हैं एक अच्छा और एक बुरा। फ़िल्म में यह देखना रोचक है कि दोनों दोस्त पिशाच या वेनम बनने के बाद अपनी दुश्मनी किस हद तक निभाते हैं कितने अपने और गैरों की जान लेते हैं ?
फ़िल्म का फाइट सीन बेहतरीन है। फ़िल्मांकन भी मार्वल सीरीज़ की दूसरी फिल्मों के जैसे ही भव्य हैं। फ़िल्म में सभी कलाकारों का अभिनय अच्छा है लेकिन जिन्होंने मार्वल की पहले की कड़ियाँ देखा है उन्हें इसमें कमी लगेगी। मॉर्बियस एक डॉक्टर से शैतान बन गया है जो स्वयं में नियंत्रण भी नहीं रख सकता फिर भी अपनों को बचाता है। उसकी शक्तियों को वैम्पायर जैसा बतलाया है। फ़िल्म की शुरुआत में जैसे सीन दिखाया उसका पूरी फिल्म में सामंजस्य नहीं दिखता। एक वेनम के खून पीने पर लोग शैतान नहीं बनते लेकिन माइकल के डॉक्टर मार्टिन को काटने पर वह भी वेनम बन जाती है जो अटपटा लगता है शायद नई सीरीज़ में इस कड़ी को दिखाया जाए लेकिन फ़िल्म में यह अधूरा अधूरा सा लगता है। वैसे मार्वल प्रेमियों को यह फ़िल्म उनकी उम्मीद से कम लग सकती है। बाकी फ़िल्म की रोचकता को निर्देशक ने बांधे रखा है और अगली कड़ी में नए सुपरहीरो की शायद धमाकेदार एंट्री हो। फ़िल्म में एक दिव्यांग डॉक्टर से पिशाच बनने की घटना ज्यादा सार्थक नहीं लगती।
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