Sunday, 10 July 2022

अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा 421वी काव्य गोष्ठी संपन्न



नवी मुम्बई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच एक सामाजिक और साहित्यिक संस्था है जो समाज के लिए और साहित्य के लिए निरंतर कार्यक्रम करती आ रही है। इसी क्रम में 9 जुलाई को कोपरखैरने, नवी मुंबई में काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता की सेवा सदन प्रसाद ने तथा मुख्य अतिथि रहे रामस्वरूप साहू।

मंच संचालन किया युवा कवि साहित्यकार पवन तिवारी ने और मां सरस्वती की वंदना की वंदना श्रीवास्तव ने।

प्रस्तुत है कार्यक्रम रचनाकारों की खूबसूरत पंक्तियां :- 

बहुत याद कर लिया जीवन में 

हम सबने जन्म से अब तक

ये जो तुमारा सुंदर रूप है 

या पूनम का चांद है यह

- ओमप्रकाश पांडेय

प्रियतम किधर गए

सखी मुझे बतलाओ

प्रियतम किधर गए

जीवन को त्योहार बनाकर

यादों का गलहार सजाकर 

सपनों का संसार दिखाकर

हृदय द्वार पर मुझे बिठाकर

अब क्यों चुप्पी साधे 

प्रियतम किधर गए

सखी मुझे बतलाओ

प्रियतम किधर गए

- अलका पांडेय

पीछा मुझसे प्रभुजी छुड़ा ना पाओगे 

जब कभी भी सुनोगे विनती मेरी मेरे ऊपर दया दिखाओगे

- विशंभर तिवारी

पिता मेरी जान है 

पिता मेरी पहचान है

- नीरजा ठाकुर

लोभ लालच के दाने बिखरे बीच डगरिया तेरी 

चुगने कि तू आस ना कर यह नहीं नजरिया तेरी

- त्रिलोचन सिंह

भूल गया इंसान सभी रीति रस्में, रामायण बाइबल कुरान की कस्मे।

इसीलिए इतना परेशान है इंसान, इंसान से हैवान बन गया इंसान

- रवि यादव

परछाई की मानिद यादें तेरी पीछे पड़ी रहती हैं

जाओ चाहे जितनी दूर मगर यह पास खड़ी रहती हैं 

तुम आ जाती हो तो हंसने लगती हैं घर की दीवारें 

वरना तेरे जाने के बाद यह खामोश खड़ी रहती हैं

- जे पी सहारनपुरी

रिमझिम रिमझिम पड़े फुहार

गाये गोरी गीत मल्हार

तेरी मेरी प्रेम कहानी

मन में कुमुद खिले हजार

- रामस्वरूप साहू

सो गई है जो संवेदना 

वह जगाने आया हूं 

गांव छोड़कर शहर में 

यारों कुछ मांगने आया हूं

- सेवासदन प्रसाद

बंजर जमीन थी कोई फूल फुला नहीं

कितने ही ख्वाब आंख में बोने के बावजूद

- वंदना श्रीवास्तव

कल्पना में तुम्हारी बनी अल्पना। अन्य कोई नहीं क्यों तुम्हें सोचना

- पवन तिवारी

कार्यक्रम में उपस्थित सभी कवियों ने अपनी अपनी स्वरित रचनाओं से काव्य गोष्ठी को गौरव प्रदान किया। अंत में नीरजा ठाकुर ने सभी कवियों का आभार व्यक्त किया और परिचर्चा के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।

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