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मुम्बई। 15 अगस्त 2022 को आज़ादी के 75वें वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर संकल्पित आयोजन 'अमृत महोत्सव' के अवसर पर स्थानीय स्तर पर हजारीबाग बार एसोसिएशन के द्वारा आयोजित भव्य समारोह में अधिवक्ता संघ के तमाम सदस्यों व हजारीबाग व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक पदाधिकारियों की मौजूदगी में, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजकुमार राजू द्वारा अधिवक्ता काली दास पाण्डेय को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। 

हजारीबाग बार एसोसिएशन के तरफ से यह सम्मान उन्हें वकालत पेशे के अलावा सामाजिक सरोकार से जुड़े  कार्यों व अतिरिक्त फिल्मी गतिविधियों के लिए दिया गया। विदित हो कि इस वर्ष 26 मार्च को मालाबार हिल, वालकेश्वर रोड मुम्बई स्थित राजभवन में आयोजित राष्ट्रीय सेवा सम्मान समारोह में वरिष्ठ फिल्म पत्रकार व अधिवक्ता काली दास पाण्डेय को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 'राष्ट्रीय सेवा सम्मान' अवार्ड देकर सम्मानित किया था। 4 मई को अंधेरी (पश्चिम) मुम्बई स्थित मेयर हॉल में कृष्णा चौहान फाउंडेशन (केसीएफ) के द्वारा आयोजित भव्य समारोह में काली दास पाण्डेय को लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवार्ड दे कर सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही 16 मई को अंधेरी (पश्चिम) मुम्बई स्थित मुक्ति फाउंडेशन के प्रेक्षागृह में आयोजित सिनेमा आजतक एचीवर्स अवार्ड 2022 समारोह में काली दास पाण्डेय को फिल्म निर्माता निर्देशक सुजॉय मुखर्जी (अभिनेता स्व जॉय मुखर्जी के पुत्र) के द्वारा बेस्ट जर्नलिस्ट अवार्ड से नवाजा गया था। उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय ने अपना करियर 1981 में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जमशेदपुर (झारखंड) से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचार पत्र 'उदित वाणी' से किया था। 80 के दशक से वर्तमान समय तक  बतौर फिल्म पत्रकार बॉलीवुड में सक्रियता जारी है। हजारीबाग (झारखंड) बार एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण कर 1992 से वकालत के पेशे में क्रियाशील काली दास पाण्डेय को बॉलीवुड में फिल्म निर्माता व निर्देशक रमेश सिप्पी की कालजयी फिल्म 'शोले' के इतिहास के साथ एक नया अध्याय जोड़ने वाले फिल्म पत्रकार के रूप में जाना जाता है।

70 के दशक की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म के रूप में 'शोले' की चर्चा आज के दौर में भी होते रहती है। 3 घंटा 24 मिनट की म्यूजिकल/कॉमेडी युक्त एक्शन फिल्म 'शोले' सिर्फ रमेश सिप्पी की नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा की अब तक की सदाबहार फिल्म है। 15 अगस्त 1975 को प्रदर्शित इस फिल्म की सफलता का श्रेय इसकी पटकथा और पार्श्व संगीत को ही दिया जाता है। आसमान में गोलियों की गूंजती आवाज, झूले के चरचराहट, डाकुओं की फिल्म होते हुए भी नई कहानी के जरिये मध्यमवर्गीय जीवन के नए पहलू उद्घाटित हुए थे। इन सबने मिलकर 'शोले' को महान बनाया। वर्ष 2005 में 50वें फिल्मफेयर समारोह में फिल्म को पिछले 50 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्जा दिया गया था। साथ ही ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट ने वर्ष 2002 की वोटिंग में शीर्ष 10 भारतीय फिल्मों की सूची में 'शोले' को प्रथम स्थान दिया था। 'शोले' के प्रदर्शित होते ही फिल्म के संवाद और कुछ साइलेंट पात्र की जीने वाले कलाकार बेहद लोकप्रिय हो गए थे उनमें से चरित्र अभिनेता मेजर आनंद का नाम सर्वोपरि है। वैसे अभिनेता मेजर आनंद अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने 3 सितंबर 2020 को इस दुनियां को अलविदा कहा। फौज की नौकरी छोड़ कर 70 के दशक में ही रामसे ग्रुप की फिल्म 'अंधेरा' से फिल्मी कैरियर शुरू करने वाले अभिनेता मेजर आनंद ने अपने जीवन काल में 'शोले' समेत 75 फिल्मों में काम में काम किया।अभिनेता मेजर आनंद के अभिनय कौशल और लोकप्रियता को देखते हुए बी एफ सी पब्लिकेशन्स (लखनऊ) के द्वारा अभिनेता मेजर आनंद की बायोग्राफी प्रकाशित की गई है जिसके लेखक काली दास पाण्डेय हैं। इसके साथ ही रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' के इतिहास के साथ एक नया अध्याय जुड़ गया है। इसके पूर्व 'शोले' के नामचीन कलाकारों को छोड़कर फिल्म से जुड़े किसी भी कैरेक्टर आर्टिस्ट की बायोग्राफी अब तक प्रकाशित नहीं हुई थी। फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय द्वारा लिखी गई बायोग्राफी 'मेजर आनंद- ख़्वाबों की मंज़िल का नायक' (सफरनामा फौज से फिल्मों तक) की खास बात यह है कि इसमें अभिनेता मेजर आनंद के फिल्मी कैरियर से जुड़े अनछुए पहलुओं को शामिल किया गया है। साथ ही साथ फिल्म विधा में रुचि रखने वाले नवोदित कलाकारों व फिल्म निर्माताओं के लिए इस बायोग्राफी में फिल्म डायरेक्टरी का भी समावेश किया गया है। पाठकों के लिए यह बायोग्राफी काफी उपयोगी साबित होगी। बायोग्राफी का किंडल (ई बुक) संस्करण और पेपर बैक संस्करण अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

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