मुम्बई। ज्योतिष से संबंधित 34 पुस्तकों के लेखक और एक अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटी ज्योतिष के रूप में प्रसिद्ध आचार्या पी. खुराना एक प्रख्यात व्यक्तित्व के मालिक हैं और मानव जाति के कल्याण के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। पी खुराना भारत के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों में से एक हैं। कुंडली, वास्तु टिप्स और कालसर्प दोष के लिए शीर्ष भारतीय ज्योतिषी पी खुराना की व्यावहारिक आध्यात्मिक शिक्षाएँ इतनी बेहतर हैं कि उनके द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ कभी गलत नहीं होती हैं। एस्ट्रो इंडिया की परिकल्पना पी. खुराना ने की है। पिछले दिनों मुम्बई के मिलेनियम क्लब में उनका एक स्प्रिचुअल सेशन रखा गया जहां उन्होंने एस्ट्रोलॉजी और हमारी आधुनिक जीवम शैली में इसके प्रभाव पर बातें की। आचार्या पी खुराना की शिष्या शिल्पा धर भी इस अवसर पर मौजूद रहीं।
पिछले 30 साल से अधिक वर्षो से वह एस्ट्रोलॉजी के क्षेत्र में हैं। अब तक उनकी 34 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। पी खुराना का कहना है कि आज लोगों में बर्दाश्त करने, धैर्य रखने का माद्दा नहीं है, तुरंत सब कुछ चाहिए। पहले शादी होती थी पैरेंट्स बात करते थे आज उल्टा ज़माना हो गया है बच्चे बात करते हैं। बड़ों की बातें माननी चाहिए। जिन्हें भी बेचैनी होती है, कोई समस्या होती है, उन्हें स्प्रिचुअल शिक्षा देता हूं। दिल्ली मुम्बई चंडीगढ़ में उनके स्प्रिचुअल सेशन होते हैं। हर इंसान का अपना काम करने का ढंग होता है वह ऑनलाइन परामर्श देने के बजाय मिलकर सलाह देते हैं। वह कहते हैं "आप किसी के हृदय की गहराई को टच नहीं कर सकते", बहुत अंतर हो जाता है। ऑनलाइन में लोगों का ध्यान पूरी तरह बात पर नहीं होता।
आज दुनिया का हर इंसान टेंशन में है। जॉब और कैरियर के लिए आज युवा पीढ़ी परेशान है, उन्हें सलाह देते हुए पी खुराना कहते हैं "हर व्यक्ति को यह भलीभांति मालूम होना चाहिए कि वह क्या कर सकता है। उसे अपनी क्षमता और प्रतिभा का एहसास होना चाहिए और उसे वही काम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण भगवत गीता में कहते हैं "मैं चाहता हूं कि तुम वो करो, जो मैं चाहता हूँ। अर्थात आप जो कर सकते हो, वही करो। धागे को ज्यादा खींचोगे तो वह टूट जाएगा। हमारी वेबसाइट एस्ट्रोइंडिया डॉट कॉम पर क्लिक कर के लोग हमसे संपर्क स्थापित कर सकते हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि मेरी सभी 34 अंग्रेजी किताबो का हिंदी में अनुवाद भी प्रकाशित हो।
आचार्या पी खुराना की शिष्या शिल्पा धर का कहना है कि मैं अपनी आखरी सांस तक खुराना जी की शिष्या रहना चाहूंगी। यह मेरा सौभाग्य और ईश्वर का वरदान होगा अगर आने वाले कई जन्मों तक भी वह मेरे गुरु रहें। मेरी पहचान मेरे गुरु से है, मेरे नाम की पहचान आचार्या पी खुराना से जुड़कर बहुत बड़ी बन चुकी है। इनका आशीर्वाद मेरे साथ है, इनका हाथ मेरे सर पर है, मेरा अस्तित्व मेरे गुरु से है।
अध्यात्म एक ऐसी चीज है जो सिर्फ मनुष्य प्राप्त कर सकता है। क्योंकि इंसान के अंदर चेतना, मस्तिष्क, सोचने समझने की शक्ति है। वही इंसान अध्यात्म की ओर बढ़ सकता है जिसे सही और गलत का अंतर मालूम हो। अध्यात्म के लिए गुरु का होना आवश्यक होता है। आज के दौर में अध्यात्म इसलिए जरूरी है क्योंकि मनुष्य भूल चुका है कि वह इस धरती पर क्यों आया है। मनुष्य के जीवन का सारांश क्या है, खाना पीना शादी करना बच्चे पैदा करना नही है, मनुष्य के जीवन का सारांश है कि वह प्रभु से मिल सके। इस दुनिया मे कोई योगदान दे सके। अध्यात्म के बिना आपके जीवन मे स्पीड नहीं आ सकती। मन और आत्मा में पवित्रता होना जरूरी है। गुरू, मातापिता के प्रति भक्तिमय होना आज के समय की जरूरत है। अध्यात्म की पहली शर्त यह है कि अपने आप को भूल जाना। अपने आप को प्रभु को समर्पित कर दें। अपने अंदर से अहंकार को खत्म कर दें। निःस्वार्थ होकर लोगों की भलाई करें। सहनशीलता अध्यात्म का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। आपके अंदर सहनशीलता की भावना होनी चाहिए। जीवन मे आपको मेहनती और अनुशासित होना चाहिये। दुनिया मे आप मनुष्य बनकर सारे काम कीजए मगर अंदर से आध्यत्मिक रहिए। परीक्षण के बिना समर्पण की भावना जरूरी है। भक्तियोग से भी ऊपर कर्मयोग है। इसलिए कर्मयोगी बनिए,जो भी काम कीजए, उसमे अपना खून पसीना तप सब कुछ डाल दीजये। लोगों का भला करें, अपने कर्म को अच्छा रखे, विनम्र रहें तो जीवन मे आपको शांति संतुष्टि मिलेगी, आज हर कोई डिप्रेशन का शिकार है, लोग मनोवैज्ञानिक, काउंसलर के पास जाते हैं, दवाएं खाते हैं मगर अध्यात्म की ओर, गुरु के चरणों मे लोग नहीं जाते। यह घोर कलयुग है, लोगों को अब तो समझ लेना चाहिए।
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