Tuesday, 20 September 2022

हिंदी पखवाड़ा के उपलक्ष्य में अग्निशिखा मंच का कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह सम्पन्न



मुम्बई। विगत 32 वर्षो से अग्निशिखा मंच द्वारा सामाजिक व साहित्यिक  कार्यक्रम का आयोजन होता चला आ रहा है। मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन कार्यक्रम शुरु किये गए। अब ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही कार्यक्रम किया जा रहा है। ऑनलाइन में देश विदेश के लोग एक मंच पर जुड़ जाते हैं इसलिये हिन्दी उत्सव  ऑनलाइन 18 सितम्बर को मनाया गया व ऑफलाइन 24 सितंबर को नवी मुम्बई स्थित शिकारा होटल में मनाया जाएगा। ऑनलाइन हिंदी दिवस मनाने के लिए यह आयोजन किया गया। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी के रंग में डूबा कवि सम्मेलन में हिंदी के प्रति कवियों के विविध रंग देखने को मिले। माँ शारदे की स्तुति के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मंच संचालन अलका पाण्डेय और सुरेन्द्र हरड़ें ने किया। वहीं समारोह अध्यक्ष राम रॉय, मुख्य अतिथि श्रीवल्लभ अंबर, विशेष अतिथि आशा जाकड, संतोष साहू, जनार्दन सिंह, शिवपूजन पाडेय, पी एल शर्मा रहे। सबका स्वागत वैष्णो खत्री ने किया। 

इस ऑनलाइन कार्यक्रम में सभी कवियों ने शानदार कविताओं की प्रस्तुति दी तथा सभी कवियों का सम्मान पत्र देकर सम्मान किया गया। 

अलका पाण्डेय, देवी दीन अविनाशी, हेमा जैन, रानी अग्रवाल, डॉ मीना  कुमारी परिहार, नीरजा ठाकुर, वीना अचतानी, वैष्णो खत्री, ओम प्रकाश पांडेय, शोभा रानी तिवारी, अनिता झा, पुष्पा गुप्ता, रविशंकर कोलते, बृज किशोरी त्रिपाठी, रागिनी मित्तल, विजेन्द्र मोहन बोकारो, सुरेन्द्र हरड़ें, कुमकुम वेद, डॉ अंजुल कंसल, आशा नायडु, मीना त्रिपाठी, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सरोज दुगड, निहारिका झा, सुनीता अग्रवाल, डॉ महताब अहमद आज़ाद ने काव्य पाठ किया। अंत में अलका पाण्डेय ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा बने ना बने पर हमें हमेशा हिंदी का ध्वज फहराना है, हिंदी को उसका सिंहासन दिलाना है। 

कुछ कवियों की चंद लाइन प्रस्तुत है :-


हिन्दी हिन्दुस्तान है

सबसे सरल सबसे सुंदर हिंदी। हिंदी से महका सारा हिंदुस्तान है 

हिंदी में जीते मरते, हिंदी बड़ी महान है।

विदेशों में भी इसकी निराली शान है।

बलिदानों की गौरव गाथा है

हिंदी तो कालजई भाषा है।

हिंदी को हम करते नमन हैं 

हिंदी हमारी जान है सम्मान है।

एकता अखंडता का पाठ पढ़ाती है।

जन-जन की आवाज है ममता की शीतल छांव है।

हिंदी प्रेम की अनुपम अटूट डोर है।

हिंदी हमारी जान है हिंदुस्तान की प्यारी बोली।

हिंदी ने विश्व में पहचान बना ली है।

हिंदी ने हम सब को पहचान दी है।

जय बोलो हिंदी की जय बोलो हिंदी की

- अलका पाण्डेय 


हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान है

ये जन-जन की वाणी है

ये हर दिल की धड़कन है

- डॉ मीना कुमारी परिहार


बंद मुट्ठी की जैसी हिंदी

इसकी ताकत को आज आजमा लो

ह में ह्रस्व इ लगी

द में दीर्घ ई लगी

ह के माथे पे डालो बिंदी

इसकी ताकत को आज आजमा लो

- डाॅ पुष्पा गुप्ता 


गंगा हिंदी यमुना उर्दू जैसी है।

भारत फूल दोनों खुशबू जैसी है।

- डॉ. महताब अहमद आज़ाद


आज हदय में पीड़ा गहरी देश प्रेम का भाव नहीं, 

वंदे मातरम् लिखा गया नी राष्ट्र भाषा हिन्दी क्यों एक दिवस मनाये हम,

कोटी कोटी कंठो से गाए मातृभाषा अपनाएं हम

स्वामीजी ने अमेरिकी संसद मे हिन्दी का मान बढ़या, 

करतल ध्वनी से गूंजा सदन हिन्दी का मान बढ़ाया! 

आज हदय में पीड़ा गहरी देश प्रेम का भाव नहीं, 

वंदे मातरम् लिखा गया उस भाषा पर अभिमान नहीं ! 

- सरोज दुगड़ खारुपेटिया


हिन्दी भाषा जन जन की भाषा

संस्कृत की यह छोटी बहना

पर पहनें सुन्दर अलंकारों की गहना

- ओमप्रकाश पाण्डेय


राष्ट्र गरिमा

हिंदुस्तानी का मान

होती है हिंदी

सरल भाषा

पर प्रभावशाली

होती है हिंदी

- हेमा जैन 


हिंदी पढ़िए हिंदी लिखिए

और हिंदी ही बोलिए

मीठी भाषा हिंदी भाषा 

सबके हृदय में घोलिये

है गर्व हमें अपनी हिंदी पर 

अपना देश महान है

है जन-जन की प्यारी हिंदी 

इसमें बसता प्राण है

इसकी बात निराली है

इसमें सुर और तान है

हिंद देश के हम सब वासी

हिंदी ही पहचान है।

इसीलिए तो हाथ जोड़ कर

विनती इतनी मानिये।

अपने हृदय के कपाट को

हिंदी के लिए खोलिये।।

हिंदी चमक रही है ऐसे 

जैसे माथे पर चंदन हो

हिंदी देश की है आत्मा 

हिंदी का ही वंदन हो

जीवन हिंदी को समर्पित

हिंदी का आलिंगन हो

नमस्ते दुनिया बोल रही 

हिंदी में अभिनंदन हो।

बांह फैलाकर अपनाने को 

सब तैयार हैं देखिए।

गोरी भाषा के नाम पर 

बहुत-बहुत हैं रो लिये।

लंदन वाली ठगनी है 

उसका न अधिकार है

मैकाले कब का मरा

फिर क्यों उससे प्यार है

मीरा, तुलसी और कबीर के

आगे सब बेकार है

भारत के आभूषण हिंदी,

हिंदी ही श्रृंगार है।

सब पर भारी अपनी हिंदी

आंखें बंद न कीजिए।

हिंदी को अपनाइए और

इधर उधर ना डोलिये।

हिंदी पढ़िए हिंदी लिखिए

और हिंदी ही बोलिए।

- श्रीराम राय

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