काशी विद्यापीठ ललित कला विभाग के छात्रों को सिखाया गया सिनेमा में सफलता के गुर
मुम्बई। सिनेमा में सफलता और मेहनत पहले दिन से ही दिखने लगती है। अगर आप सफल होना चाहते हैं तो आपका मुल्याकंन महत्वपूर्ण है। सिनेमा सिर्फ कलाकारों की फिल्ड नहीं है बल्कि टैक्निशियन के बिना सिनेमा, सिनेमा नहीं है। सिनेमा का इतिहास बहुत पुराना नहीं होते हुए भी इसने इतने कम समय में समाज को जिस तरह प्रभावित किया है वह अकल्पनीय है। सिनेमा ने हमारे सामाजिक जीवन को इस तरह प्रभावित किया है कि हम उसी के काल्पनिक दुनिया में सैर करते हुए वास्तविक धरातल कि तलाश करते हैं। सिनेमा ने न केवल समाज को बल्कि समाज के प्रत्येक बिन्दुओं को अपने तरफ आकर्षित किया है, चाहे वह हमारी संस्कृति हो, जीवन शैली हो, साहित्य हो, परंपरा हो, आर्थिक व्यवस्था हो सबको नयी आयाम दी है। उक्त उद्गार फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉयज के प्रेसिडेंट और जाने माने साउंड इंजिनियर बी.एन. तिवारी ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के ललित कला विभाग में 7 सितंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
उन्होने छात्रों को सिनेमा में सफलता के गुर भी सिखाए और कहा कि सिनेमा ड्रीम लाइफ नहीं बल्की एक रियल लाइफ है और इसमें आज काफी स्कोप है। सिनेमा ने जहां समाज को प्रभावित किया है वहीं यह अर्थ व्यवस्था का सुदृढ़ नींव बन गया है। सिनेमा वैश्विक अर्थव्यवस्था तक को प्रभावित कर रहा है तथा नवयुवकों को रोजगार मुहैया करा रही है। सिनेमा ने अपने प्रारम्भिक दौर में साहित्य के विभिन्न विधाओं को आधार बनाकर अपनी यात्रा शुरू किया। पहले पहल सिनेमा ने पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में बनाई। तिवारी ने कहा कि मैं भी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले का रहने वाला हूं और मैने कैरियर की शुरुआत साउंड इंजिनियर के रुप में किया। 2500 फिल्मों की रिकॉडिंग करने वाले तिवारी ने कहा कि छात्रों को चाहिए कि सिनेमा को नजदीक से जानें। सिनेमा ऐसा क्षेत्र है जिसमें कभी विलंब नहीं होता। आप जब इसमें खड़े होंगे तभी से इसमें चल सकते हैं, तभी इसके बारे में आप जान सकते हैं और अपना कैरियर बना सकते हैं। आप सपने देखिए और उसे पूरा करने के लिए दौड़ लगाइए, आप जरुर जीतेंगे। उन्होने कहा कि मुझे खुशी है कि चंद्रशेखर आजाद जी इसी विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। ये मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैं इस मोटिवेसनल क्लास में शामिल हो रहा हूं। इस अवसर पर कला संकाय के प्रोफेसर सुनील विश्वकर्मा भी समारोह में मौजूद थे।
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