जानकारी के मुताबिक परवेज सन 1993 में हुए मुबई बम धमाके का आरोपी है। जिसे टाडा कोर्ट ने आजन्म कारावास की सजा सुनाई है। नाशिक जेल के बैरक नंबर 3/1 में कैद कैदी क्रमांक सी 9031 यह पिछले 28 सालों से जेल की सलाखों के पीछे है। न्यायालय के आदेश के अनुसार इस कैदी को पेरोल या फर्लो पर भी नहीं छोडा जा रहा है। सुत्रों की माने तो परवेज इन दिनों अन्य बेगुनाह कैदियों को जेल से छुडाने में कानूनी सहायता कर रहा है। जेल से छुटने के बाद कई विभिन्न धर्मों के कैदियों ने बताया कि परवेज ने उन्हें जेल में काफी मदद की थी।
परवेज औऱ उसके एक साथी करीम लाला ने जेल में सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से अन्य कैदियों के तनाव मुक्त जीवन के नुस्खे बताकर उन्हें योग आसन के लिए प्रेरित करने का काम किया था। जिससे प्रभावित होकर महाराष्ट कारागृह सुधार विभाग के डीआइजी ने उन्हें विशेष माफी प्रदान की थी। परंतू सरकार ने दिए निर्देश के मुताबिक उन्हें अपने जीवन के पूरे 60 साल बिताने होंगे। इसलिए वे इस माफी से खुश नहीं है।
नाशिक जेल अधिकारी चंद्रकांत जठार ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कौन कितना दोषी है या कौन निर्दोष है यह तय करना न्यायालय का काम है। परंतु प्रशासन की पूरी जिम्मेदारी है कि कारागृह में आने के बाद कैदियों में सकारात्मक परिवर्तन हो। साथ ही एक सुधार के बाद कैदियों को समाज में जीने का एक अंतिम मौका जरूर देना चाहिए।
जेल में परवेज पढेलिखे कैदियों को पेन, कागज, पेन्सिल इत्यादि सामान की मदद के अलावा ईद, दीवाली तथा अन्य त्यौपारों पर कैदियों को खान-पान के चीजे मुहैया कराता है।
सूत्रों की माने तो परवेज अब भी खुद को बेगुनाह मानता है। मुंबई के माहिम में रहनेवाले परवेज के भाई सोहैल कुरैशी का मानना है कि वे एक इमानदार भारतीय परिवार है और पिछले कई सालों से वे माहिम में केले का व्यवसाय करते है और केवल मुस्लिम होने के कारण ही परवेज
को इस मामले में फंसाया गया है।
जानकारों के मुताबिक केला व्यापारी परवेज ने अबतक शादी नहीं की है और यदि प्रशासन ने उसे रिहा किया तो वह गरीब तथा बेगुनाह कैदियों की मदद के लिए एक संस्था बनाने की योजना में है।
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