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नई दिल्ली: भारत की समुद्री सीमाओं में सिक्योरिटी फोर्स कितनी चौकस हैं और सुरक्षा व्यवस्था कितनी चाकचौबंद है, इसकी समीक्षा के लिए मंगलवार से एक्सरसाइज सी विजिल शुरू होगी। 26/11 अटैक के बाद समुद्री सीमाओं को सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हालांकि कुछ प्रोजेक्ट जो पहले पूरे हो जाने थे वह पूरे नहीं हो पाए, लेकिन अब रफ्तार पकड़ी है।



सी विजिल अभ्यास का तीसरा संस्करण
राष्ट्रीय स्तर की कोस्टल डिफेंस एक्सरसाइज के बारे में 2018 में सोचा गया था। इसके बाद सी विजिल एक्सरसाइज शुरू हुई। इस बार सी विजिल एक्सरसाइज के यह तीसरा एडिशन है। इस एक्सरसाइज में इंडियन नेवी के साथ सभी तटीय राज्यों की मेरीटाइम एजेंसी, कोस्टगार्ड, कस्टम, शिपिंग, फिशरीज विभागों के शिप और दूसरे संबंधित विभाग शामिल होंगे। 15 और 16 नवंबर को यह सी विजिल एक्सरसाइज होगी जिसमें देश की 7,516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की सुरक्षा के स्तर को परखा जाएगा। ये एक्सरसाइज बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, हिंद महासागर और जितने भी एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन हैं, वहां एक साथ की जाएगी। इसके लिए कई अलग अलग जगह पर कंट्रोल सेंटर भी बनाए गए हैं जहां से ये पूरी एक्सरसाइज मॉनिटर की जाएगी।

छोटी फिशिंग बोट की निगरानी
मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद समुद्री सीमाओं को ज्यादा मजबूत करने के लिए छोटी फिशिंग बोट की निगरानी पर भी जोर दिया गया था। फिशिंग बोट में ट्रांसपोन्डर्स लगने थे, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काफी देरी हो गई। अब यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ रहा है। तमिलनाडु में 5,000 ऐसी फिशिंग बोट पर ट्रैकिंग डिवाइस लगने का काम चल रहा है जिनकी लंबाई 20 मीटर से कम है। इसे लेकर मछुवारों की भी अपनी चिंता थी और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पोजिशनिंग नेविगेशन सिस्टम के साथ ट्रांसपोन्डर को मॉडिफाई किया है ताकि इससे दोनों तरफ से कम्युनिकेशन हो सके। कुल तीन लाख से आसपास रजिस्टर्ड फिशिंग बोट हैं जिनमें से 2.5 लाख 20 मीटर से छोटी हैं। 2008 में हुए मुंबई अटैक के बाद 20 मीटर से बड़ी बोट के लिए ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम जरूरी कर दिया गया था। लेकिन छोटी बोट के लिए यह प्रकिया लेट होती गई।

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