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 बर्तन, कपडे इत्यादि सामान का हुआ वितरण

संवाददाता / मुंबई
   चुनौतियां जीवन का एक हिस्सा हैं। हम जीवन में विभिन्न बिंदुओं पर विभिन्न चुनौतियों का सामना कर एक बेहतर अनुभवों से जीवन को संवारते हैं। और ये ही अनुभव हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं। कुछ इसी प्रकार के दर्दनाक अनुभवों का सामना करते हुए मुंबई के मालाड में स्थित अप्पा पाडा के सिलेंडर ब्लास्ट पीडित अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जहां उनका हौसला बढाने तथा उनकी मदद के लिए कई सामाजिक संस्थाएं आगे बढकर सामने आने लगी है। ऐसे में जोगेश्वरी की संस्था वनवासी जनकल्याण समिती तथा अंकुश सर प्रतिष्ठान ने यहां के 100 पीडित परिवारों को रविवार के दिन बर्तन, कपडे, शॉल इत्यादि जरूरत के सामान वितरित कर इन्सानियत की एक बेहतर मिसाल कायम की है।
   मुंबई के समाजसेवी स्व. श्री अंकुश सर परब के स्मृती दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस सामाजिक कार्य भाग लेने हेतू छुट्टी के दिन रविवार के समय सभी समाजसेवी अपना समय निकालकर इस कार्य में योगदान देने के लिए उत्सुक थे। जहां इस अवसर पर स्व. अकुश सर की पत्नी श्रीमती डॉ. संगिता अंकुश परब, भाई प्रोफेसर लहू परब, पुत्री स्वरदा अंकुश परब आदि ने उपस्थित रहकर 100 बेघर पीडित परिवारों को 300 थालियां. 100 ग्लास, 200 कटोरियां तथा 100 कंबल समेत अन्य जरूरत के सामान वितरित किए।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों हालहीं में यहां अप्पा पाड़ा की झुग्गी बस्ती में 15 से 20 एलपीजी सिलेंडरों में विस्फोट के बाद यह हादसा हुआ और इसमें कई व्यक्तियों की मौत हो गई थी। यह आग 10000 स्क्वायर मीटर में फैली थी, जिसमें 900 से 1200 घर आग की चपेट में आ गए थे। इस घटना के बाद बेघर हुए लोग खाने-पिने को मोहताज होकर खुले आसमांन के नीचे जीवन बसर करने को मजबूर है।
  ऐसे मे अपने बेहद ही जरूरत का सामन पाकर सभी पीडित परिवार बडे ही भावूक होकर संस्था और उनके पदाधिकारियों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। परंतू सर पे छत ना होने का दुख उनके जहन में अब भी कायम है। मिडिया से रूबरू होते सभी पीडित परिवारों ने एक ही स्वर में शासन-प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द उनके रहने के लिए उचित घरों की व्यवस्था की जाए।
   इस सामाजिक कार्यक्रम के मुख्य आयोजक विनोद कोरगांवकर ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम में विशेष अतिथी के रूप में समाजसेवी जयवंत लाड तथा अनिल म्हसकर उपस्थित थे। जबकि कार्यक्रम को सफल बनाने में खासतौर पर प्रमोद मेहता, संदिप वरणकर, रूपेश पावसकर, संदिप ठसाल, अमित मांडे, दामू देसाई, उदय देवरूकर, श्रीकांत पवार, मिलिंद सावंत, शुभम मिश्रा, अंकुश बेटकर, कुणाल पावसकर, प्रकाश कद्रेकर, आदेश चिंदरकर, नित्यानंद शेट्टी, प्रफुल्ल सामंत तथा श्रीमती रश्मि पवार इत्यादि ने भरपूर मेहनत की। 
 

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