- समापन पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को किया सम्मानित
आबू रोड/राजस्थान। शिक्षा का मूल उद्देश्य है चरित्र का निर्माण करना। असत्य से सत्य की ओर ले जाना। बंधन से मुक्ति की ओर जाना। लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है। भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है। इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारीज के मानपुर स्थित ज्ञानदीप सेवाकेंद्र पर चल रहे समर कैंप के समापन पर बीके भगवान भाई ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को मूल्यांकन, आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। वर्तमान के समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। परीक्षा के समय अपनी सकारात्मक सोच रखें। परीक्षा का डर मन से निकाल दें। समय का सदुपयोग करें। आत्मविश्वास से लिखें। यदि शिक्षा से परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है। जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। समाज अमूर्त होता है और प्रेम, सद्भावना, भातृत्व, नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से संचालित होता है।
उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास होगा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है। नैतिकता के अंग हैं-सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध, नशा-व्यसन, क्रोध, झगड़े आपसी मनमुटाव बढ़ता जा रहा है। नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में है। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरुतियां, व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है।
ज्ञानदीप सेवाकेंद्र संचालिका बीके भारती दीदी ने कहा कि नैतिक शिक्षा ही मानव को मानव बनाती है। क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है। राजयोग प्रशिक्षक बीके जमीला ने कहा कि सभी बच्चे समर कैंप में जो नैतिक शिक्षा दी गई है उन बातों को जीवन में अपनाएंगे तो आपका जीवन सफल होगा। बीके सीमा ने कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नहीं है, तब तक जीवन में नैतिकता नहीं आती है। स्वयं को जानना, पिता परमात्मा को जानना और उसको याद करना ही आध्यात्मिकता है, जिसे राजयोग कहते हैं। इस मौके पर बीके कविता, बीके सुभाष भी उपस्थित थे। समापन पर कैंप के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया।
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