चित्रेश मेहरा / मुंबई
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के डोडा जिले में स्थित सेना के आतंक-रोधी ‘व्हाइट नाइट कोर युद्ध स्कूल' में 62 पुलिस उपाधीक्षकों सहित 1,000 से अधिक परिवीक्षाधीन पुलिस अधिकारी छह सप्ताह का प्रशिक्षण ले रहे हैं.
अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 मार्च को शुरू हुआ. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से तीन दशकों से अधिक समय से जूझ रहे इस केंद्र शासित प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला कार्यक्रम है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि सरकार की योजना जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस के हवाले करने की है|
उन्होंने कहा था, ‘‘हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून-व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है. पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं.''
पुलिस के अनुसार, एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों बलों के समन्वय और संयुक्त परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना था, जिन्होंने तीन दशकों से अधिक समय से एक साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला किया है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रशिक्षण परिचालन रणनीति, खुफिया जानकारी साझा करने और आतंक-रोधी रणनीतियों पर केंद्रित है, जो इन क्षेत्रों में भारतीय सेना के व्यापक अनुभव पर आधारित है. यह संयुक्त प्रशिक्षण क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा और भलाई के लिए निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है.''
इस तरह की पहल के मुख्य योजनाकार रहे पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन और व्हाइट नाइट कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिग (जीओसी) ले. जनरल नवीन सचदेवा ने ‘युद्ध स्कूल' का क्रमश: 23 और 27 मार्च को दौरा किया और अधिकारियों के प्रशिक्षण की समीक्षा की. इन अधिकारियों में 989 नवनियुक्त उपनिरीक्षक शामिल हैं.
प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में 128 महिला अधिकारी हैं, जिनमें 19 डीएसपी और 109 उपनिरीक्षक शामिल हैं.
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