Saturday, 30 March 2024

कृषि अभियान : भारत की इस कमजोर रीढ़ को मजबूत बनाने का एक प्रयास

 


चित्रेश मेहरा / मुंबई 

भारत एक कृषि प्रधान देश है यह कथन सभी भारतीयों और सरकार को मान्य है और यह कोई छोटी बात नहीं है।

कृषि उत्तम, व्यापार मध्यम तथा नौकरी कनिष्ठ है। ये भी सर्वाभिमुख है

लेकिन आज हकीकत में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है, ये एक त्रासदी है.

खेती और किसान के हाल पे कोई गंभीर नही है कोरोना काल के बाद कम से कम सहानुभूति का स्तर तो बढ़ा है। यह निश्चित काबिले तारीफ है

हमें यह स्वीकार करना होगा कि अधिक जागरूकता की आवश्यकता है।

मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं मे भोजन, वस्त्र, मकान  इस श्रृंखला में भी भोजन सबसे आगे है।

कृषि से अन्न प्राप्त होगा, यह सूर्य  प्रकाश के समान स्वच्छ है।

खेती और किसानों के अनेक मुद्दे जन-जन तक पहुंचने चाहिए, सरकार तक ये आवाज पहुंचनी चाहिए।

 सिर्फ agriculture is backbone of Indian economy इतना कहना काफी नहीं होगा . न्यूज़ चैनल के माध्यम से विचार व्यक्त करने का सुनहरा अवसर आया है, तो आइये इस अवसर को स्वर्णिम बना दें।

लेखों की इस श्रृंखला के माध्यम से कृषि समस्याओं, किसानों और कृषि उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक छोटा सा प्रयास करने की योजना  है।

हम सभी पाठकोंका और विचारवंतो का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं।

आइए  इस अभियान में आप "मिशन पत्रकारिता" के साथ जुड़ के, इस जागरूकता को जन जन तक फैलाने मे अपना योगदान दे सकते हैं 


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