मि. प. संवाददाता / नई दिल्ली
देश में 18 वीं
लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरो-शोरो से जारी है. चुनाव आयोग के साथ राजनीतिक
पार्टियां भी लगातार चुनाव प्रचार के लिए तैयारियां कर रही हैं. लेकिन क्या आप
जानते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान कौन व्यक्ति सरकारी विमान का इस्तेमाल चुनाव
प्रचार के लिए कर सकता है. आज हम आपको बताएँगे कि किसको सरकारी विमान इस्तेमाल
करने का अधिकार है.
देश के
प्रधानमंत्री
बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान सिर्फ देश के
प्रधानमंत्री सरकारी विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं. प्रधानमंत्री के अलावा किसी
अन्य नेता को चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी विमान इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है.
बाकी अन्य पार्टी और नेता चुनाव के दौरान अपने निजी या किराया पर ही विमान का
इस्तेमाल कर सकते हैं.
कब से शुरू हुआ
सरकारी विमान का इस्तेमाल
चुनाव के दौरान
सरकारी विमान का इस्तेमाल करने के पीछे एक रोचक कहानी है. जानकारी के मुताबिक 1952 के पहले चुनाव से लेकर अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो
चुके हैं. ये देश का 18वां आम चुनाव है. इन सभी में केवल प्रधानमंत्री ही
अकेला ऐसा नेता होता है, जो सरकारी विमान का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में कर
सकता है. ये किस्सा 1952 का है, जब
देश का पहला आम चुनाव होने वाला था, उस
वक्त देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चुनाव अभियान के लिए सरकारी विमान
से यात्रा नहीं करना चाहते थे. वहीं कांग्रेस के पास उस वक्त इतना पैसा भी नहीं था
कि वो नेहरू को चार माह तक चुनावों के लिए अपने खर्च पर विमान उपलब्ध करा सके.
दुर्गादास की किताब 'कर्जन
टू नेहरू' में इस बात का वर्णन किया गया है. किताब में लिखा है
कि ऑडिटर जनरल का कहना था कि प्रधानमंत्री के जीवन को सभी तरह के संकटों से बचाना
जरूरी है. ये तभी हो सकता है जब प्रधानमंत्री विमान से यात्रा करें. क्योंकि विमान
द्वारा यात्रा करने के कारण उन्हें विशाल सुरक्षा स्टाफ की जरूरत नहीं थी, जो रेल यात्रा के कारण पड़ती. ये प्रधानमंत्री की सुरक्षा
राष्ट्रीय दायित्व है, लिहाजा राष्ट्र को उसके लिए व्यय भी करना चाहिए.
प्रधानमंत्री को
देना होता था किराया
जानकारी के मुताबिक नियम बनाया गया था कि नेहरू अपनी यात्रा
के लिए सरकार को उतना किराया देंगे, जो
किसी एयरलाइन में यात्री को देना होता है. इसके साथ जाने वाले सुरक्षा स्टाफ और
पीएम के अपने स्टॉफ का किराया सरकार देगी. वहीं अगर कोई कांग्रेसी इस विमान में
प्रधानमंत्री के साथ यात्रा करता है, तो वो
भी अपना किराया देगा.
नेहरू के बाद
अन्य प्रधानमंत्रियों को भी मिली ये सुविधा
पूर्व पीएम नेहरू के बाद ये व्यवस्था बाकी के
प्रधानमंत्रियों को भी मिलती थी. बता दें कि प्रधानमंत्री सरकार का एक अकेला शख्स
होता है, जो सरकार से मिले विमान का इस्तेमाल कर सकता है. उस
पर चुनाव आयोग से कोई मनाही नहीं होती है. वहीं विमान का कोई खर्चा प्रधानमंत्री
को व्यक्तिगत तौर पर नहीं देना होता है, सिर्फ
उन्हें अपनी यात्रा का खर्च देना होता है. वहीं ये खर्च भी उनकी सियासी पार्टियां
अपने फंड से वहन करती हैं.
जहां एयरपोर्ट
नहीं वहां कैसे जाते हैं पीएम?
भारत में अधिकांश
जगहों पर अब एयरपोर्ट मौजूद हैं. लेकिन अगर पीएम ऐसी जगहों पर जाते हैं, जहां पर एयरपोर्ट नहीं है, तो
फिर एयरफोर्स उन्हें छोटा विमान या हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराता है. जिसका खर्च पीएमओ
वहन करता है. एक आरटीआई में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया था कि फरवरी 2014 से मई 2017 तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 128 गैर आधिकारिक यात्राएं की थी. इसके लिए पीएमओ ने एयरफोर्स
को 89 लाख रुपए बतौर खर्च अदा किए थे.
Post a Comment