मि. प. संवाददाता / नई दिल्ली
चुनावों में वोट के बदले शराब बांटने की खबरें तो खूब सुनने और देखने को मिलती हैं, लेकिन अगर कोई पार्टी शराब को ही चुनावी मुद्दा बनाए तो क्या होगा. अगर राजनीतिक दल चुनाव जीतने पर लोगों को सस्ती शराब उपलब्ध कराने की बात करे तो चुनावी नतीजे क्या होंगे. शराब से जुड़ा चुनावी वादे का ताजा मामला आंध्र प्रदेश का है.
आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी- टीडीपी ने सत्ता में आने पर शराब के शौकीन लोगों के लिए कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाली शराब उपलब्ध कराने का वादा किया है. मुख्य विपक्षी दल टीडीपी ने सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी- वाईएसआरसीपी पर शराब की कीमतें बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में शराब की क्वालिटी ठीक नहीं है. तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार सत्तारूढ़ दल पर यह आरोप लगाया है कि राज्य सरकार खराब गुणवत्ता वाली शराब की सप्लाई की जा रही है और बढ़ी हुई कीमतों से भारी मुनाफा कमा रही है.
आंध्र प्रदेश में वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी 2019 में सत्ता में आई थी. उस समय राज्य सरकार ने आबकारी शुल्क से 17,000 करोड़ रुपये कमाए थे. 2022-23 में यह आमदनी बढ़कर लगभग 24,000 करोड़ रुपये हो गई. राज्य में सरकारी स्वामित्व वाली दुकानें शराब की बिक्री करती हैं.
चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने 2019 के चुनाव में सत्ता में आने पर शराब पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादे से पीछे हट गए हैं. उन्होंने कहा कि शराब समेत सभी वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं.
नायडू ने कहा, ‘जब मैं शराब का जिक्र करता हूं तो हमारे छोटे भाई खुश हो जाते हैं. वे चाहते हैं कि शराब की कीमतें कम की जाएं. यह जगन मोहन रेड्डी हैं, जिन्होंने कीमत 60 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दी और 100 रुपये अपनी जेब में डाल लिए.’
जनसेना नेता ने सवाल किया कि देशभर में शराब की दुकानों में सभी लेनदेन के लिए डिजिटल भुगतान का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘पैसा कहां जा रहा है. बेची गई शराब के लगभग 74 प्रतिशत हिस्से की आपूर्ति सिर्फ 16 कंपनियों द्वारा की जा रही है.’
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