मि. प. संवाददाता / मुंबई
जब दो लोग किसी रिश्ते की शुरुआत करते हैं तो उनके बीच
एक दूसरे की देखभाल, सम्मान
करना, विश्वास
रखना, प्यार
करना रहता है. कई बार वो रिश्ते को मजबूत बनाने के कारण उसको और भी कमजोर बना देते
हैं. जिस कारण रिश्ता टूटने के हाल पर भी आ जाता है. आइए आज उन बातों को विस्तार
से जानते हैं.
पार्नटर को ना बताएं
एक-एक बातें
अपने
साथी को हर छोटी बात बताना आपके लिए परफेक्ट हो सकता है लेकिन अक्सर हम भूल जाते
हैं कि कुछ बातें हैं जो हमें और हमारे आत्मसम्मान को परिभाषित करती हैं और जो
निश्चित रूप से हमें हमेशा अपने पास रखनी चाहिए. इसका मतलब ये नहीं है कि आपको
अपने पार्टनर से झूठ बोलना चाहिए. आपको हमेशा सच ही बोलना चाहिए बस आपको अपने लाइफ
में कुछ सुधार करने की आवश्यकता है और अपने साथी को सब कुछ बताने के लिए बाँधा
महसूस करना चाहिए.
समझौता करना
एक
रिश्ते में समझौते करना सीखना आवश्यक है. यह आपने अक्सर सुना होगा लेकिन यह पूरी
तरह बेतुका है. किसी भी रिश्ते में सिर्फ समझौता करते रहना आपके व्यक्तित्व के साथ
आपके रिश्ते को कमजोर कर देता है. रिश्ते में अपनी राय और विचारों को व्यक्त करना
महत्वपूर्ण है. अगर आप समझौते और बातचीत में हमेशा हारते रहें, तो आपका रिश्ता मजबूत
नहीं है, बल्कि
दिनों- दिन कमजोर होगा.
ये सोचना लड़ाई ना हो
एक
रिश्ते में झगड़े को कभी नहीं टाला जा सकता है. अगर आपको लगता है कि एक स्वस्थ, खुशहाल रिश्ता का
मतलब है कि आप और आपका साथी कभी नहीं लड़ेंगे, तो आप ग़लत हैं. यहाँ
सवाल यह नहीं है कि जोड़े कैसे लड़ते हैं. असली सवाल यह है कि उनकी लड़ाई की
सीमाएँ क्या हैं. कहीं वो लड़ाई में छोड़कर जाने की धमकी तो नहीं देते. लड़ाई करना
भी अच्छा है लेकिन एक सीमा तक लड़ाई करने से आप अपने मन की बातें निकाल देते हैं
और दिल पर कुछ नहीं रखते ऐसा करने से रिश्ता ज्यादा खराब नहीं होता है.
ईर्ष्या को लोग समझ
जाते हैं प्यार
ईर्ष्या
प्रेम से संबंधित नहीं है बल्कि असुरक्षा से संबंधित है. अगर कोई ईर्ष्याशील है, तो इसका मतलब है कि
उसका साथी उसे यह साबित नहीं कर पाया है कि कोई भी उसकी जगह नहीं ले सकता. ईर्ष्या
असुरक्षा का प्रतीक है और समय के साथ और बदतर हो सकती है. यह शुरूआत में प्यारी
लगती है लेकिन जैसे-जैसे बढ़ती है, यह रिश्ते को कमजोर
कर देती है.
Post a Comment