शैलेश जायसवाल / मुंबई
इस लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में शिंदे गुट के 15 सीटों में से कुल 13 सीटों पर शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच कांटे की लडाई मतदाताओं के लिए काफी रोचक होता दिखाई दे रहा है। देश यह जानने को उत्सुक है कि इस लडाई में किसकी शिवसेना को जीत हासिल होगी। इनमें से खासतौर पर शिवसेना -भाजपा का गढ रहे मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर शिवसेना के वायकर को लेकर बढत की अग्रिम संकेतों का मुख्य कारण वहाँ के राजनीतिक परिदृश्य में हो सकता है।
इस बीच ईडी के आरोप से मुक्त होने के बाद रविंद्र वायकर खुले रूप से चुनावी मैदान में लोगों के सामने आ गए हैं। वहीं उद्धव ठाकरे गुट के उम्मीदवार अमोल किर्तिकर को चुनावी मैदान में उत्पन्न होने वाली रोचक विवादों ने रविंद्र वायकर की स्थिति को और भी मजबूत किया है। इस घमासान के बीच, राजनीतिक दलों के बीच टकराव और उम्मीदवारों के पार्श्ववर्ती इतिहास ने चुनावी परिणाम को अनिश्चितता की दिशा में धकेल दिया है।
यद्यपि उद्धव गुट में रहते हुए रविंद्र वायकर ने स्वयं अमोल किर्तिकर को अपनी पार्टी से लोकसभा की उम्मदवारी दिलाई था। अब शिंदे गुट में शामिल होने के बाद चुनावी समिकरण वायकर के पक्ष में जाते दिखाई दे रहे हैं। इसके बावजूद, विरोधी दलों के बीच विवाद और टकराव उनकी लड़ाई को थोड़ा मुश्किल बना सकता है।
हालांकि ओपिनियन पोल के मुताबिक वायकर को 5 लाख 80 हजार से अधिक वोटों के साथ जीत की संभावना जताई जा रही हैं। जबकि अमोल किर्तिकर महज 4 लाख 50 हजार वोट मिलने की संभावना है। हालांकि यहा मराठी भाषी वोट बंट जाने के कारण मुस्लिम और उत्तरभारतीय वोट ही यहां का राजनैतिक समिकरण बदल सकते हैं। यदि रविंद्र वायकर को यह बड़ी बढ़त मिली, तो यह उनके और शिवसेना के लिए राजनीतिक मानकों में एक बड़ी परिवर्तन की घोषणा कर सकता है। वहाँ के चुनावी नतीजों का असर महाराष्ट्र की राजनीतिक दृष्टि को भी परिवर्तित कर सकता है, जिसमें शिवसेना के नये नेता एकनाश शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रति जनमत का अहम उल्लेख है।
इस तरह की उठापटक के बीच, चुनावी प्रक्रिया और नतीजे दिखाएंगे कि कौन अंततः इस लड़ाई में सबसे मजबूत है। लेकिन, रविंद्र वायकर के लिए यह बड़ी बढ़त का संकेत हो सकता है, जो उन्हें उनके राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर ला सकता है।
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