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 वायकर की जीत पर नाखुश अमोल ने रचा राजनैतिक षडयंत्र, जांच में हुआ खुलासा, 

मि.प. संवाददाता / मुंबई

    हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनावों में नवनिर्वाचित सांसद रविंद्र वायकर की ऐतिहासिक जीत के बाद, विपक्षी प्रत्याशी अमोल किर्तिकर द्वारा उनके खिलाफ ईवीएम मशिन हैकिंग के आरोप को लेकर सोशल मीडिया पर वायकर को बदनाम करने की राजनैतिक षडयंत्र रचने की खबरें सामने आई हैं। जांच एजेंसियों ने कई सबूत जुटाए हैं जो इस कथित षडयंत्र की पुष्टि करते हैं। वहीं दूसरी ओर सशस्त्र पुलिस के काफिले के साथ मतगणना केंद्र में प्रवेश करने पर ठाकरे समूह से जुड़े विधान परिषद विधायक विलास पोटनीस के खिलाफ भी वनराई पुलिस ने मामला दर्ज किया  है। 

    चुनाव के ठीक 13 दिन पहले शिवसेना शिंदे गुट से चुनाव टिकट लेकर रविंद्र वायकर ने 48 मतों से जीत हासिल की, जिससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। हालांकि, उनकी इस जीत से उद्धव ठाकरे गुट के अमोल किर्तिकर और उनके समर्थक बेहद नाखुश थे। चुनाव के दौरान किर्तिकर ने कई आक्रामक चुनावी अभियान चलाए थे, लेकिन जनता ने वायकर पर विश्वास जताया और उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना।

षडयंत्र का पर्दाफाश :-

    चुनाव के परिणाम घोषित होने के कुछ ही दिनों बाद, कुछ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली। जांच में सामने आया कि अमोल किर्तिकर ने वायकर की छवि खराब करने और उन्हें बदनाम करने के लिए एक सुनियोजित षडयंत्र रचा था। इस षडयंत्र में झूठे आरोप, नकली दस्तावेज़ और सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार शामिल थे।

    जांच एजेंसियों ने किर्तिकर के कुछ नजदीकी सहयोगियों के फोन कॉल्स और संदेशों को ट्रेस किया, जिसमें इस षडयंत्र की योजना बनाई जा रही थी। इन संदेशों से पता चला कि किर्तिकर ने वायकर के खिलाफ फर्जी सबूत तैयार करने के लिए अपने कुछ विश्वासपात्रों को लगाया था।

    रवींद्र वायकर ने मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में महायुति से चुनाव लड़ा। वोटों की गिनती 4 जून को नेस्को सेंटर में हुई थी. मतगणना के दिन, केवल उन्हीं लोगों को मतगणना केंद्र में प्रवेश करने की अनुमति दी गई, जिन्हें चुनाव रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा आधिकारिक पहचान पत्र जारी किए गए थे। लेकिन जब मतगणना की प्रक्रिया चल रही थी तो विधान परिषद सदस्य विलास पोटनीस सशस्त्र पुलिस वर्दी में अपने अंगरक्षक के साथ शाम चार बजे से आठ बजे के बीच मतगणना केंद्र में प्रवेश कर गये. प्रत्याशी अमोल कीर्तिकर उनके साथ मतगणना केंद्र तक गये. इसकी शिकायत रवींद्र वायकर ने चुनाव अधिकारियों से की थी.

    अमोल किर्तिकर और विलास पोतनीस ने चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करते हुए मतगणना केंद्र में प्रवेश किया, जबकि आयोग के नियमों के अनुसार स्पष्ट निर्देश था कि जिस व्यक्ति के पास चुनाव रिटर्निंग अधिकारी द्वारा जारी प्रवेश पहचान पत्र नहीं होगा, उसे प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। निर्वाचन आयोग। रवींद्र वायकर ने इन सभी मामलों की गहन जांच की मांग की। उनके शिकायती आवेदन पर संज्ञान लेते हुए वनराई पुलिस ने विलास पोटनिस के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया:-

रविंद्र वायकर ने इस पूरे मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "मैं लोकतंत्र में विश्वास रखता हूं और इस तरह के षडयंत्र हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी।"

विपक्षी दल के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने किर्तिकर की इन हरकतों की निंदा की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। किर्तिकर ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि यह उनके खिलाफ एक राजनीतिक चाल है।

फर्जी आरोप:-

    किर्तिकर और ठाकरे समुह के लोगों ने साजीश के तहत वायकर पर यह आरोप लगाया था कि उनके रिश्तेदार ने मतगणना केंद्र में मोबाईल का इस्तेमाल कर ईवीएम मशीन को हैक कर फर्जी तरीके से चुनाव जीता है। इस पर जवाब देते हुए मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र चुनाव रिटर्निंग अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने बताया है कि 27- मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना प्रक्रिया भारत के चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार की गई है। नियमानुसार 26वें राउंड के बाद डाक मतपत्रों की गिनती कर प्रत्याशीवार मत घोषित किये गये. जिसमें प्रत्याशी श्री वायकर 48 वोटों से आगे चल रहे थे। 

    इसके बाद दोनों केंद्रीय गणना निरीक्षकों द्वारा आवश्यक प्राधिकार देने के बाद चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर ने 7.53 बजे चुनाव परिणाम के साथ-साथ विजयी उम्मीदवार की घोषणा की और श्री. कीर्तिकर के प्रतिनिधियों ने 08.06 बजे पुनर्मतगणना का लिखित पत्र प्रस्तुत किया। 27-मुंबई नॉर्थ वेस्ट के चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर ने सूचित किया है कि उनके द्वारा उठाई गई आपत्ति निर्धारित अवधि के बाद थी और उन्होंने कोई ठोस आपत्ति नहीं उठाई और पूरी गिनती प्रक्रिया के साथ-साथ 'वीवीपीएटी' की गिनती के दौरान भी कोई आपत्ति नहीं उठाई गई।'

निष्कर्ष:-

इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब इस मामले की जांच पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की जांच में क्या नए खुलासे होते हैं और दोषियों को क्या सजा मिलती है।

हमारी टीम इस मामले पर लगातार नजर रखे हुए है और ताज़ा जानकारी के लिए जुड़े रहें।

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