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 जोगेश्वरी पूर्व में बढा फिर फेरीवालों का आतंक

मि. प. संवाददाता / मुंबई

    मुंबई के जोगेश्वरी पूर्व में फेरीवालों के अतिक्रमण का मुद्दा नगर की जनता के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। नगर में तेजी से बढ़ते अतिक्रमण के बावजूद, स्थानीय नगरसेवकों और विधायकों समेत प्रशासन द्वारा इस पर कोई कार्रवाई न करने की कडी आलोचना हो रही है। प्रशासन की इस लापरवाही के विरोध में स्थानीय नागरीकों ने सामुहिक रूप से आंदोलन करने की चेतावनी भी दे दी है। 

    फेरीवालों के अतिक्रमण के मुद्दे में नागरिकों ने प्रशासन को कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक केवल खानापूर्ति के लिए मनपा अतिक्रमण विभाग की गाडी केवल एक या दो घंटे के लिये यहां लगाई जाती है। जिसका कोई परिणाम होता दिख नहीं रहा है। क्योंकि भ्रष्ट मनपा कर्मचारी वहां आने से पहले फेरीवालों को फोन पर सूचना दे देते है। जिसके कारण दो घंटे के लिए फेरीवाले अलर्ट हो जाते है।

    नागरिकों का कहना है कि अनिवासी फेरीवालों द्वारा यहां स्थानीय बुजूर्गों के साथ बदसलुकी तथा महिलाओं के साथ छेडछाड की वारदातें काफी बढने लगी है। फेरीवालों ने न सिर्फ सडकों पर अपना कब्जा जमाया है, बल्कि सडक पर कब्जा की हुई जगह को वे किसी दूसरे को मोटी रकम के किराए पर देने लगे। इसका विरोध करने पर वे स्थानीय व्यापारी दुकानदारों पर भी वे अपनी धाक जमा रहे हैं। वहीं सडक पर बनी पुलिस बीट चौकी के बावजूद पुलिस के सामने ही खुलेआम सडकों पर कब्जा जमाकर वे प्रशासन को ताक पर रख दुकानदारों पर अपना रौब झाडने में अपनी बहादूरी दिखा रहे हैं।  इसी के चलते सड़कों की सुरक्षा और व्यवस्था भी काफी खतरे में है। जबकि सरकार को टैक्स चुकाकर ईमानदारी से व्यवसाय करनेवाले व्यापारियों को कोई सुविधा या सुरक्षा मुहैय्या नहीं कराई जा रही है। जिसके कारण नाराज व्यापारियों ने अपना रोष प्रकट करते हुए मनपा तथा जोगेश्वरी पुलिस के खिलाफ आंदोलन की चेतावणी भी दे दी है। 

    गौरतलब हैं कि सुप्रिम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी रेल्वे स्थान के 150 मीटर के आसपास फेरीवालों के लिए प्रतिबंध है। बावजूद इसके उनका अतिक्रमण स्थिति को और भी ख़राब कर रहा है। जिसके कारण यहां राह चलते पादचारियों को कदम रखने को तक जगह नहीं मिलती और महिलाओं को भी चलते समय अन्य पुरूषों को धक्कामुक्की करते हुए रास्ता पार करना पडता है। यहां कि किसी दुर्घटना की स्थिती में भी इन फेरीवालों के चलते एंब्यूलेंस के लिए भी रास्ता मिल पाना संभव नहीं हो पाता। 


    यह मुद्दा न केवल सार्वजनिक स्थलों के लिए सुरक्षितता का सवाल है, बल्कि यह भी लोगों की सुरक्षा और सुविधा से भी संबंधित है। स्थानीय नगरसेवकों और विधायकों की अपार संख्या में शिकायतों के बावजूद भी, प्रशासन का इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम ना उठाना वास्तव में चिंताजनक है। जनता का मानना है कि अतिक्रमण के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जरूरत है। इस समस्या का समाधान केवल नगरसेवा और प्रशासन की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें जनता की सहभागिता और जागरूकता का भी महत्वपूर्ण योगदान है। नगरसेवा के अधिकारियों को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि समस्या का शीघ्र समाधान हो सके और नगर की जनता को सुरक्षा और सुविधा मिल सके।

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