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मुंबई। असली हिन्दू के तीन लक्षण हैं पहला जो गऊ सेवा करता हो, दूसरा जिसका विश्वास पुनर्जन्म में हो, तीसरा अहं ब्रम्हास्मि। जो गऊ माँ को काटते हैं उसका मांस खाते हैं, बेचते हैं वे हिन्दू नहीं बल्कि पाप के भागी हैं। गऊ को माता क्यों कहा गया ? जैसे कोई लड़की ब्याही जाती है तो उसके पति की माता उस लड़की की माता होती है उसी तरह अगर हमने किसी को अपने परिवार में सम्मिलित कर लिया तो जो हम मानते हैं वही सम्मिलित व्यक्ति भी मानता है गऊ को माता हमारे सनातन धर्म ने माना है इसलिए वह हमारी भी माता है।
आज हमारे पास सिर्फ दो से ढाई करोड़ गाय बची है। अगर हम पांच वर्ष और रुक गए तो, जैसे हम कृष्ण भगवान् को सिर्फ चित्र में देखते है वैसे ही गाय को भी हम सिर्फ चित्र में ही देख पाएंगे। यह बहुत कठिन समय है, आपके पास यह अंतिम मौका है गाय को बचाने का क्योंकि जब तक हमारे पास बीज है तब तक सब कुछ बचाया जा सकता है जिस दिन बीज समाप्त हो गया, हम कुछ नहीं कर पाएंगे।  
हमारी संसद में इस विषय पर चर्चा के लिए समय नहीं है, कहते है इस पर चर्चा से समय ख़राब होता है इसीलिए हमने निर्णय लिया है कि देश के हर संसदीय क्षेत्र से एक गौ भक्त को गौ सांसद के रूप में मनोनीत किया जाये। उसे इस बात का एहसास कराया जाये कि तुम सांसद हो। अपने संसदीय क्षेत्र में गाय के बारे में काम शुरू करो। जो तुम्हारा चुना गया सांसद है वह अगर तुम्हारा सहयोग लेना चाहे तो उसका पूर्ण सहयोग करो। गाय के बारे में सारे काम अपने हाथ में ले लो शंकराचार्य ने कहा कि आज देश में दो ही चीजों की जरुरत है एक गौ की दूसरी भारत की।  
शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि "गऊ भारत भारती" ने गौ संरक्षण की दिशा में उत्तम कार्य किया है। जैसा इसका नाम सुंदर है वैसा ही इसका काम भी सुंदर है। यह समाचार पत्र गाय को समर्पित है, दस वर्ष एक युग होता है, अब इसमें ऊर्जा आ गई है।  मैं इसे गौ संसद का मुख्य पत्र घोषित करता हूँ। शंकराचार्य श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने उक्त उद्गार गऊ भारत भारती पुरस्कार वितरित करते हुए व्यक्त किए।
 गऊ माता की महिमा और संरक्षण पर आधारित भारत के पहले समाचार पत्र "गऊ भारत भारती" की 10वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में “गऊ भारत भारती सर्वोत्तम सम्मान 2024” दिए गए। 
इस भव्य समारोह में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने गऊ भारत भारती सर्वोत्तम सम्मान से हैदराबाद से विशेष तौर पर आई माधवी लता, मुक्ति फाऊंडेशन की स्मिता ठाकरे, मुंबई भाजपा उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी, महाराष्ट्र गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष शेखर मूंदड़ा, प्रेम रामानंद सागर, शैलेश गगलाणी, भरत भाई पोपट, बकुलेश भाई ठक्कर, गौ भक्त नवनाथ दुधाल, बिमल भुता (भाजपा मुंबई सचिव), प्रकाश कोलते, अभय छेड़ा, अजय कौल, प्रशांत काशिद, चिराग गुप्ता, महेंद्र संगोइ (प्रमुख ट्रस्टी "भगवान महावीर पशु रक्षा केंद्र), एंकरवाला अहिंसाधाम", गौ वैज्ञानिक डॉ जितेंद्र भट्ट, वैज्ञानिक जेजे रावल, समाजसेवी कृष्णा पिम्पले को सम्मानित किया।
 इस अवसर पर प्रेम रामानंद सागर ने अपनी लिखी पुस्तकें शंकराचार्य को भेंट की। शंकराचार्य ने भी उनसे कहा कि आप गऊ माता पर भी सीरियल निर्माण करें। नीरज पुरोहित और डॉ. जितेंद्र भट्ट द्वारा शंकराचार्य जी को गाय के गोबर से बनी वस्तुए भेंट की गई।  
कार्यक्रम का संचालन आनन्द सिंह ने किया और कार्यक्रम के आयोजक गऊ भारत भारती समाचारपत्र के संस्थापक संजय शर्मा अमान थे।

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