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नई दिल्ली। इस वर्ष की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक "एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी: गोधरा" पिछले सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज हुई। सिनेमाघरो में दर्शक यह जानने के लिए सिनेमाहॉल पहुंच रहे हैं कि गोधरा मामले में वास्तव में क्या हुआ था? गोधरा कांड के काले पहलू से रूबरू कराती यह फिल्म असल में पिछले तीन दशकों से चली आ रही परतों को खोलती है।
जब फ़िल्म मेकर्स को पता चला कि "राष्ट्र सर्वोपरि" के सिद्धांत में विश्वास रखने वाले लोग यह फिल्म देखना चाहते हैं, तो फिल्म निर्माता ने उनके लिए फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इस बार विशेष अतिथि राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील अश्विनी उपाध्याय और कई विशिष्ट व्यक्ति थे। यह स्क्रीनिंग पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के विशेष अनुरोध पर आयोजित की गई थी।
 पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के अनुसार लोगों को गोधरा कांड पर आधारित फिल्म “गोधरा” को बनाने वाले सभी सनातनी योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने के लिए यह फिल्म देखनी चाहिए।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जाने-माने वकील अश्विनी उपाध्याय सोशल मीडिया पर लिखते हैं: “एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी:: गोधरा, यह फिल्म 2002 में साबरमती ट्रेन में 59 हिंदुओं के नरसंहार की कड़वी सच्चाई को साहस के साथ दिखाती है। 
निर्माता बी जे पुरोहित ने पहले ही घोषणा कर दी है कि फिल्म से होने वाली 10% कमाई सीधे गोधरा ट्रेन कांड में मारे गए 59 लोगों के परिवारों को वितरित की जाएगी। गोधरा और अहमदाबाद में हाल ही में फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान, फिल्म के अधिकांश कलाकारों और क्रू ने गोधरा कांड के पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की और उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की कि क्या उन्होंने देश के सबसे विवादास्पद मामले के पीछे की सच्चाई को उजागर करने की दिशा में सही प्रयास किए हैं।
फिल्म "एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी गोधरा" सेंसरशिप से जुड़े कई मुद्दों की वजह से सुर्खियों में रही है। सेंसर बोर्ड ने अलग-अलग चरणों में परीक्षण किए और निर्माताओं को नतीजों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद हिंदी के साथ-साथ यह फिल्म तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में भी 19 जुलाई को रिलीज हुई।

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