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मंदिर निर्माण करवाकर भगवान शिव और इंद्र देव को समर्पित करना चाहते हैं 

मुंबई। इतिहास, माइथोलॉजी और विज्ञान के क्षेत्र को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण खोज विख्यात रिसर्च स्कॉलर और बिजनेसमैन सैयद शामीर हुसैन ने की जिसमें हिंदू देवताओं के दो लीजेंडरी हथियार वज्र एवं त्रिशूल का पता लगाया गया है।
 फिलिपींस में कच्चे तांबा और गोल्ड माइनिंग में श्री हुसैन के इंवॉल्वमेंट से  2012 में उन्हें यह अभूतपूर्व खोज करने में मदद मिली। 5 मई, 2015 को स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कार्य करते समय एक श्रमिक सुपरवाइजर ने पिरदा माउंटेन सीरन में उन्हें एक खनन साइट पर आमंत्रित किया, जहां पर 20 फीट की गहराई पर एक अन्य अप्रत्याशित चीज की खोज की गई।
निरीक्षण के दौरान श्री हुसैन ने दो चीजों का पता लगाया। आयरन रॉड से छूने पर एक धातु जैसी चीज का पता चला जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। दूसरी चीज एक धातु त्रिशूल थी, जिसके हिंदू माइथोलॉजी से जुडे होने की संभावना थी। श्री हुसैन ने उसके बारे में और जानकारी एकत्र करने के लिए उसकी डॉक्यूमेंट्री बनाई और फोटोग्राफी शेयर की।
व्यापक रिसर्च करने और विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श करने पर पता चला कि एनिग्मेटिक ऑब्जेक्ट इंद्र देवता के हथियार वज्र जैसा था जबकि त्रिशूल भगवान शिव से जुड़ा हुआ था। अपनी खोज के महत्व को मान्यता दिलाने के लिए श्री हुसैन ने भारत लौटने पर इन आइटमों को आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के पास रजिस्टर्ड कराया।
 25 देश की यात्रा करने और 9 वर्ष के रिसर्च के बाद उन्होंने उनके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए सांस्कृतिक मंत्रालयों और और राष्ट्रीय म्यूजियम के साथ चर्चा की। उन्होंने धर्मगुरुओं, योगी, इतिहास के विद्वानों और अनुसंधानकर्ताओं से मार्गदर्शन मांगा।
 सैयद शामीर हुसैन का कहना है कि वज्र और त्रिशूल की खोज सांस्कृतिक और धार्मिक सीमाओं से परे है, इनमें असीम शक्ति और क्वालिटी है, जो पुराने ज्ञान से जुड़ने के लिए जगत को एक विशिष्ट अवसर ऑफर करता है। हर व्यक्ति के लिए मेरा विजन है कि उन्हे इन आर्टीफैक्ट में निहित ट्रांसफॉर्मेटिव एनर्जी का अनुभव करना चाहिए और मैं सभी के लिए इन्हें उपलब्ध बनाने के प्रति प्रतिबद्ध हूं। हिंदू धर्म की आस्था स्वरूप इन दोनों हथियार को किसी म्यूजियम में न रखा जाए बल्कि मंदिर का निर्माण हो और इसे भगवान शिव और इंद्र देवता को समर्पित किया जाए।
वज्र और त्रिशूल जो इस समय ग्लोबल अटेंशन के केंद्र में हैं तथा ये आध्यात्मिक रोशनी के द्वार भी है इनको संरक्षित रखने और शेयर करने के प्रति श्री हुसेन की प्रतिबद्धता डिवाइन पावर के प्रति बेहतर जागरुकता को बढ़ावा देने की संभावना एवं उनके महत्त्व पर जोर देती है।

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