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मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई से एक बेहद हैरान कर देने वाली ख़बर निकलकर आ रही है। यहां पर एक बेहद बड़ी रकम की धोखाघड़ी सहित 480 लोगों से रकम लेकर भी उन्हें 14 साल से मकान के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया गया है, लेकिन उन्हें अपने सपनों का घर नहीं मिल पाया है। दरअसल में मुम्बई के मीरा रोड स्थित आरएनए कॉर्प बिल्डर के प्रोजेक्ट में सन 2010 में ही टेलीविजन की दुनिया के मशहूर अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह, फ़िल्म निर्देशक विनोद तिवारी सहित दिन रात काम करके एक एक पैसा इकट्ठा कर 480 लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर फ्लैट / रूम लेने का सपना सँजोया था। लगभग 90 प्रतिशत पेमेंट कर देने के बाद भी अभी 14 साल बाद तक पजेशन नहीं मिल पाया, बल्कि इस प्रोजेक्ट पर तो देश के सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में ब्रेक भी लगा दिया। और तब से ही इन 480 होम बायर्स का सपना और सपनों का घर अधर में लटक गया है। इनमें से कई लोगों ने बैंक से लोन लेकर इस बिल्डिंग में घर खरीदने का सपना पाला था लेकिन वो अब या तो इस दुनिया मे ही नहीं रहे या फिर अभी भी अपने रिटायरमेंट की रकम से या फिर सैलरी से बैंक का लोन और अपने किराए के मकान का किराया भर रहे हैं। इतने बड़े रकम के गवाँ देने के बाद और नाउम्मीदी में लंबे समय तक रहने की ऐसी दुखद स्थिति में कुछ लोगों का मानसिक संतुलन तक गड़बड़ा गया है। अब उन लोगों को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही उम्मीद है।
एक प्रेस वार्ता में उपस्थित इन 480 होम बायर्स के साथ मीटिंग करने के बाद अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि आज भी वे एक कमरे के मकान में रहने को मजबूर हैं। आज से 14 साल पहले ही उन्होंने 60-70 लाख रुपये इस प्रोजेक्ट में लगाकर सपनों के घर में परिवार के साथ मुम्बई में बसने का सपना पाला था, लेकिन समय के साथ वो उम्मीदें भी अब टूट गईं और बच्चे भी अब तो साथ छोड़कर दूसरी जगह चले गए क्योंकि उनके सपनों का घर उन्हें नहीं मिल पाया। सुरेंद्र पाल सिंह भावुक होकर कहते हैं कि हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के 480 होम बायर्स हैं क्योंकि उन्होंने अपने सम्बोधन में हर समय पूरे देश के 140 करोड़ देशवासियों की ही बात किया है। अब वो ही हमारे सपनों के इस घर को वापस दिलाने में हमारी मदद कर सकते हैं। क्योंकि जिस बिल्डिंग में हमने पैसा लगाया है वो लगभग 90 % तक बनकर पूरी भी हो चुकी है लेकिन इसका मालिक अनुभव अग्रवाल इसी प्रोजेक्ट का 538 करोड़ रुपया अपनी दूसरी कम्पनियों में लगा चुका है। वो इस बिल्डिंग को अब अधूरा छोड़कर इसे डिफाल्टर घोषित कर विदेश भागने के चक्कर में एक बार हवाईअड्डे से पकड़ा भी गया है और तभी से इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्टे लगा दिया है। हमारा अनुरोध अब प्रधानमंत्री से यही है कि हम उम्र के चौथे पड़ाव में हैं और अब यहां से हमें नाउम्मीद मत करें अन्यथा अब हम जी नहीं पाएंगे।            
दरअसल ये सभी होम बायर्स पिछले 15 वर्षों से अपने घरों के कब्जे का इंतजार कर रहे हैं। ये सभी खरीददार आरएनए कॉर्प को (अनुभव अग्रवाल) सहमत राशि का 90% भुगतान भी कर चुके हैं इसके बावजूद इतना पेमेंट करने वाले खरीदारों को भी ये अनुभव अग्रवाल फ्लैट देने में विफल रहा। इस सम्बंध में दायर एक याचिका पर  सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल पहले यथास्थिति का आदेश दिया था और ये सभी होम बायर्स अब उस यथास्थिति को रद्द करने की मांग करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यथास्थिति हटाए जाने के आदेश के कारण सीआईआरपी रुकी हुई है।                                     इन सभी होम बायर्स का मानना है कि अब मामले के लिए नियुक्त आरपी से बिना किसी देरी के इनके घरों के पजेशन को इन खरीददारों को घर सौंपने का आग्रह करते हैं। और आरएनए कॉर्प बिल्डर से देरी के लिए इन सभी पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा की भी मांग करते हैं। क्योंकि हम पिछले 14 वर्षों से हमारे द्वारा सहन की गई मानसिक पीड़ा और वित्तीय कठिनाइयों के लिए यही जिम्मेवार है, इसलिए इस बिल्डर को यह हर्जाना भरना ही चाहिए।

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