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मुंबई। 53 वर्षीय एक पुरुष मरीज को जब मुम्बई के बांद्रा पश्चिम स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में बेहोशी की हालत में लाया गया था, तो उनकी हालत बेहद गंभीर थी, और कई लोगों ने उम्मीद छोड़ दी थी कि वह जीवित बच पाएंगे या नहीं, उनके दिमाग के अंदर भारी रक्तस्राव (इंट्राक्रैनियल ब्लीड) हुआ था। उनके परिवार के लोग भी गहरे दुख में थे, क्योंकि उन्हें बताया गया कि मरीज के ठीक होने की संभावना न के बराबर है।

लेकिन ऐसे हालात में भी महात्मा गांधी अस्पताल के प्रमुख न्यूरोसर्जन डॉ. एम.डी. पुजारी ने उम्मीद की किरण देखी। जहां अन्य लोग हार मान चुके थे, वहीं डॉ. पुजारी ने अपने अनुभव, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ यह तय किया कि इस गंभीर स्थिति के बावजूद इस मरीज की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने तुरंत आपातकालीन क्रैनियोटॉमी (खोपड़ी की सर्जरी) करने का निर्णय लिया, क्योंकि यही मरीज को बचाने का एकमात्र विकल्प था।

बता दें कि यह सर्जरी अत्यधिक जटिल और जोखिम भरी थी, लेकिन डॉ. पुजारी और उनकी टीम ने बारीकी और धैर्य के साथ इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। रक्तस्राव को रोकने और मरीज की स्थिति को स्थिर करने के बाद, उन्होंने गहन देखभाल और निगरानी के साथ मरीज की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी। धीरे-धीरे रोगी की हालत में सुधार हुआ और वह कौमा से बाहर आने लगे। यह वो पल था जब उम्मीद ने हार को मात दी।

कुछ हफ्तों बाद, उनकी क्रैनियोप्लास्टी (खोपड़ी  के पुनर्निर्माण की सर्जरी) भी सफलतापूर्वक की गई। अब वह मरीज तेजी से अपनी सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहे हैं। जो मरीज कभी पूरी तरह बेहोश था, अब वह एक स्वस्थ और सुखद भविष्य की ओर देख रहे हैं।

यह कहानी डॉ. एम.डी. पुजारी और उनकी टीम की अटूट मेहनत, जोखिम उठाने की हिम्मत, और कभी हार न मानने की भावना की जीत है। उनके समर्पण ने असंभव को संभव बना दिया और एक जिंदगी को बचा लिया, जिस के बारे में उम्मीद सबने खो दी थी। अब निराशा की जगह, उम्मीद ने ले ली है, और मरीज के सामने एक नया और उज्जवल भविष्य है।
मुम्बई के महात्मा गांधी अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के अलावा जेनरल सर्जरी, एपेंडिक्स, हर्निया, हाइड्रोसील का ऑपरेशन भी किया जाता है। नॉर्मल डिलीवरी के साथ सीजीरियन डिलीवरी भी कराई जाती है। कान नाक सहित तमाम तरह के ऑपरेशन बहुत ही किफायती फीस में हो जाते हैं, इस अस्पताल में सभी लेटेस्ट तकनीक उपलब्ध है।

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