भारत में हर साल अंतिम चरण की लिवर बीमारी के 2 लाख नए मामले पाये जाते हैं
नवी मुंबई : अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई (AHNM) में नया 12 बिस्तरों का लिवर इंटेन्सिव केयर यूनिट (ICU) शुरू किया है। एक्यूट लिवर फेल्युअर, पुरानी बीमारी का इलाज और ट्रांसप्लांट रिकवरी के लिए व्यापक देखभाल यहां प्रदान की जाएगी। नवी मुंबई क्षेत्र में अपनी तरह की यह पहली सुविधा है जो लिवर बिमारियों में देखभाल के लिए एक अग्रणी विकल्प बनाएगी।
भारत में लिवर रोग एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन गए हैं। 2015 में लिवर की बिमारियों की वजह से पूरी दुनिया में हुई कुल 20 लाख मौतों में से 18.3% भारत में हुई। क्रोनिक लिवर रोग (CLD) शराब के सेवन, वायरल हेपेटाइटिस (HBV और HCV), गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (NAFLD) और आनुवंशिक विकारों से पैदा होता है। भारत में 40 मिलियन से ज़्यादा लोग हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं, और हर साल लगभग 600,000 लोग अपनी जान गवा देते हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस सी लीवर कैंसर के 32% और सिरोसिस के 20% मामलों का कारण होता है, फिर भी ज़्यादातर प्रभावित लोगों को अपने संक्रमण का पता ही नहीं होता है। हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) तीव्र हेपेटाइटिस के 10-40% मामलों का कारण बनता है और गर्भवती महिलाओं में इसकी मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है। NAFLD कुल आबादी में 9% से 32% को प्रभावित करता है और यह लिवर की बिमारियों की वजह से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है।
वायरल संक्रमण और दवा टॉक्सिसिटी के कारण होने वाला एक्यूट यकृत फेलियर (ALF) आमतौर पर वयस्कों में हेपेटाइटिस E (23-56.5%) और बच्चों में हेपेटाइटिस ए (10-71%) की वजह से होता है। भारत में हर साल अंतिम चरण की लिवर बीमारी के 2 लाख नए मामले आते हैं और हर साल 25,000 ट्रांसप्लांट्स की ज़रूरत होती है, लिवर की बीमारी बोझ लगातार बढ़ रहा है। समय रहते, जल्द से जल्द बीमारी का लगाने और उन्नत देखभाल तक पहुंच को बढ़ाने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।
डॉ. अमेय सोनवने, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी-हेपेटोलॉजी कंसल्टेंट, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,"भारत में लिवर की बीमारी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है। 5 में से 1 वयस्क में लिवर संबंधी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। खराब आहार, शराब का बहुत ज़्यादा सेवन, गतिहीन जीवन शैली, वायरल संक्रमण और कुछ आनुवंशिक कारणों से फैटी लिवर रोग, हेपेटाइटिस और सिरोसिस सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। अनुमान है कि लिवर की बीमारी के लिए विशेष देखभाल की मांग काफी बढ़ेगी।”
डॉ. गुरुप्रसाद शेट्टी, लीड-एचपीबी और लीवर ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,“भारत में लिवर की बीमारी के बढ़ते बोझ के कारण विशेष देखभाल की आवश्यकता बढ़ रही है और हमारे समर्पित लीवर आईसीयू की शुरूआत इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। किडनी फेलियर के लिए डायलिसिस है लेकिन ऐसी कोई मशीन नहीं है जो लिवर के फेल होने पर उसका काम कर सके, इसलिए आने वाले दिनों में लिवर बीमारी में उन्नत देखभाल की मांग बढ़ती जाएगी। हमारे विशेषज्ञों की टीम इन मरीज़ों की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित है। हमारे सेंटर में एक सफल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम भी है, जिसमें 90% सफलता दर के साथ 215 से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट्स किए गए हैं।"
डॉ. अक्षय चल्लानी, सीनियर कंसल्टेंट क्रिटिकल केयर-मेडिकल एडवाइज़र, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,“लिवर की बीमारी बढ़ जाने से अक्सर कई अंगों के काम बिगड़ जाते हैं, किडनी, हृदय, फेफड़े और ब्रेन पर एक साथ प्रभाव हो सकता है, जिससे उनका इलाज बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ों की जान बचाई जा सकें और शरीर के किसी भी अपरिवर्तनीय नुकसान को रोकने के लिए मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण आवश्यक है। इसीलिए, AHNM एक समर्पित लिवर ICU शुरू कर रहा है जो एक सुसंगत, मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा, जटिलताओं को कम करेगा और बढ़ी हुई लिवर बीमारी वाले मरीज़ों के जीवित रहने की दर और दीर्घकालिक परिणामों को बेहतर बनाने के लिए समय पर इलाज प्रदान करेगा।"
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