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वर्सोवा की गलियों में जब भी समाजसेवा की बात होती है, तो एक नाम हर किसी की जुबां पर आ जाता है—श्रीमती रजिया मरक्कर। वे सिर्फ एक समाजसेविका ही नहीं, बल्कि उन हज़ारों ज़रूरतमंदों की उम्मीद हैं, जिनकी ज़िंदगी में वे अपने अथक प्रयासों से रोशनी भर रही हैं। 'मिशन पत्रकारिता वूमन ज़ोन' की वर्सोवा विभाग अध्यक्षा होने के नाते, रजिया मरक्कर समाज में निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन चुकी हैं।  

हाल ही में रजिया मरक्कर ने वर्सोवा के नागरिकों के लिए एक भव्य मुफ्त चिकित्सा शिविर आयोजित करवाया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाई। इस शिविर का उद्देश्य उन लोगों तक चिकित्सा सुविधाएं पहुँचाना था, जो आर्थिक तंगी के कारण डॉक्टरों तक नहीं पहुंच पाते। चिकित्सकों की अनुभवी टीम, मुफ्त दवाइयां और परामर्श ने इस शिविर को अभूतपूर्व सफलता दिलाई। वर्सोवा के नागरिकों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं था।  

लेकिन रजिया मरक्कर सिर्फ यहीं नहीं रुकीं। वे अब 100 दिव्यांग लोगों को मुफ्त व्हीलचेयर प्रदान करवा रही हैं, ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें और सम्मान के साथ जीवन जी सकें। यह पहल उनके असली सेवा-भाव को दर्शाती है, जिसमें न जाति का भेद है, न धर्म का। उनका मानना है कि सच्ची मानवता सेवा में ही निहित है।  

राजनीति से परे, रजिया अपने पति अब्दुल लतीफ़ मरक्कर के साथ मेहनत करके परिवार का भरण-पोषण भी कर रही हैं। जहां एक ओर वे अपने परिवार की ज़िम्मेदारियां निभा रही हैं, वहीं दूसरी ओर समाजसेवा में भी निरंतर आगे बढ़ रही हैं। उनकी यह यात्रा संघर्ष और समर्पण की अद्भुत मिसाल है।  

रजिया मरक्कर का जीवन उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं और समाज की बेहतरी के लिए योगदान देना चाहती हैं। उनकी सेवा भावना, संघर्ष और कर्तव्यनिष्ठा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीक है। वर्सोवा के नागरिकों के लिए वे केवल एक समाजसेविका नहीं, बल्कि आशा और विश्वास की किरण हैं।  

उनका यह प्रयास एक संदेश देता है कि जब इरादे नेक हों, तो कोई भी बाधा समाज सेवा के रास्ते को रोक नहीं सकती।

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